इस्पात के मैदान की दिग्गज खिलाड़ी जेएसडब्ल्यू स्टील की निवेश योजनाएं उसके तिमाही नतीजों पर भी भारी पड़ीं। तमाम स्टील कंपनियों की तरह लागत बढ़ने से यह कंपनी भी परेशान है।
सान जिंदल की कंपनी को कच्चे माल की कीमत में इजाफे का खामियाजा भी भुगतना पड़ा और चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में कंपनी के शुद्ध मुनाफे में अच्छी खासी सेंध लगी और आंकड़े 52 फीसद कम हो गए।
कंपनी का मुनाफा घटकर 220 करोड़ रुपये रह गया, जबकि पिछले वित्त वर्ष की जून महीने में समाप्त तिमाही में तस्वीर बिल्कुल जुदा थी। तब कंपनी ने 468 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा कमाया था। कोकिंग कोयले की कीमत और तमाम कच्चे माल की उछाल ने कंपनी पर खासा असर डाला। बची खुची कसर सरकार ने पूरी कर दी, जिसने इस्पात कंपनियों को अगस्त से पहले कीमत नहीं बढ़ाने का फरमान जारी कर दिया।
बहीखाता तो बिगड़ना ही था और बिगड़ा भी। लेकिन दिलचस्प है कि शेयर बाजार में कंपनी पर इसका असर नहीं पड़ा। जेएसडब्ल्यू स्टील के नतीजे गुरुवार को जारी किए गए और शुक्रवार को इसके शेयर लगभग 62 रुपये चढ़ गए। पिछले शुक्रवार को शेयर 782 रुपये पर थे, हफ्ते के दौरान 734 रुपये तक गिरे और अंत में फिर पुराने स्तर से भी आगे पहुंच गए। जानकार भी मानते हैं कि जेएसडब्ल्यू की मजबूत बुनियाद और निवेश की इस घोषणा से ही ऐसा हुआ।
सान जिंदल ने गुरुवार को जब कहा कि उनका समूह बिजली और इस्पात के क्षेत्र में तकरीबन 1,60,000 करोड़ रुपये का निवेश करेगी, तो शेयर बाजार का खिलना लाजिमी था। जेएसडब्ल्यू स्टील में लगभग 100,000 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा क्योंकि इस्पात की मांग लगातार बढ़ रही है। हालांकि कहा जा रहा है कि इसके लिए रकम जुटाना कम से कम दो साल तक तो कंपनी के लिए मुश्किल होगा, लेकिन उसके बाद बहार आ सकती है। फिलहाल भारत के इस्पात बाजार में जेएसडब्ल्यू की 15 फीसद हिस्सेदारी है। उसका मकसद 2012 तक सेल के बाद दूसरी सबसे बड़ी इस्पात कंपनी बनना है।