जंबो जेट बनाने वाली कंपनी बोइंग को भारतीय बाजार में नोट ही नोट नजर आ रहे हैं।
लिहाजा यूरोप की यह कंपनी अगले 20 सालों में देश को 40 अरब डॉलर के विमान सहित अगले 10 सालों में 10 से 15 अरब डॉलर के रक्षा उपकरण भी बेच लेने की फिराक में है। इसके लिए वह एक महत्वाकांक्षी योजना भी बना चुकी है।
अपनी इस योजना पर अमल करते हुए कंपनी ने बीते साल भर से भी कम समय में देश की शीर्ष आईटी और इंजीनियरिंग कंपनियों के साथ 5 करार कर लिए हैं। अब तो इसके सैन्य और सिविल एयरक्रॉफ्ट के मुख्य कल-पुर्जे देश में ही बनने लगे हैं। बीते महीने ही कंपनी ने टाटा की टाटा एयरलाइंस मैन्यूफैक्चरिंग सॉल्यूशन लि. के साथ एक बड़ा ही महत्वपूर्ण समझौता किया है।
बोइंग उसके साथ मिलकर 787 ड्रीमलाइनर विमान के लिए टाइटेनियम और दूसरे मिश्रित धातुओं का फ्लोर बीम बनाएगी। बिजनेस स्टैंडर्ड के साथ एक विशेष बातचीत में बोइंग इंडिया के अध्यक्ष इयान क्यू.आर.थॉमस ने बताया कि शुरू के 100 बीम इस्तेमाल करने के बाद हम अपने सभी 856 ड्रीमलाइनर विमानों में इसी बीम का इस्तेमाल करेंगे। क्योंकि किसी और के पास यह तकनीक ही नहीं है।
अन्य सौदों की बात करें तो एयर इंडिया को 67 विमान बेचने के लिए इसे 1.8 अरब डॉलर का एक बड़ा करार हाथ लगा है। इस तरह इसे कुल 11 अरब डॉलर का सौदा हाथ लग चुका है। इससे पहले कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के साथ एयरोस्पेस कारोबार के लिए 1 अरब डॉलर का करार कर चुकी है। पर कंपनी इससे ही संतुष्ट नहीं है। थॉमस के अनुसार बोइंग इंडिया का लक्ष्य काफी बड़ा है। भारत में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए ये करार तो बस एक प्रेरणा का काम करेंगे।
बोइंग के भारतीय समझौते
फरवरी 2007:
रक्षा क्षेत्र के मौके भुनाने के लिए लार्सन एंड टुब्रो के साथ समझौता
दिसंबर 2007:
अंतरिक्ष तकनीक कारोबार को 1 अरब डॉलर से भी ज्यादा पहुंचाने के लिए एचएएल के साथ 10 वर्षीय समझौता
जनवरी 2008:
एयरोस्पेस की नेटवर्क तकनीक का विकास करने के लिए आईआईएससी, विप्रो और एचसीएल के साथ करार
फरवरी 2008:
ड्रीमलाइनर के फ्लोरबीम के लिए टाटा से करार
फरवरी 2008:
रक्षा उपकरण बनाने के लिए टाटा इंडस्ट्रीज के साथ संयुक्त उद्यम