लोगों को उच्च गुणवत्ता वाली दवाइयां मुहैया कराने के लिए एक साल पहले जोर-शोर से फर्मा क्षेत्र में रिटेल कंपनियों ने दस्तक दी थी।
इससे छोटे मेडिकल स्टोर्स, जिनकी संख्या करीब 550,000 करोड़ है, को खतरा महसूस होने लगा, लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है। संगठित रिटेल फार्मा कंपनियां, मसलन- फोर्टिस हेल्थ वर्ल्ड, मेडिसिन शॉपी, लाइफकेन सीआरएस हेल्थ, हेल्थ ग्लो, मेडप्लस और सुभिक्षा के लिए अब बाजार में टिक पाना मुश्किल हो रहा है।
यही नहीं, इन कंपनियों ने अपनी विस्तार योजनाओं को भी फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया है। दरअसल, इसकी वजह है रियल एस्टेट के बढ़ते दाम और कुशल फर्मासिस्टों की कमी।
सूत्रों के मुताबिक, नुकसान झेल रहीं दो से तीन बड़ी फर्मेसी रिटेल कंपनियां बिकने वाली हैं, वहीं कुछ कंपनियों के उच्च प्रबंधकों को पद से हटाने की कवायद भी चल रही है। इसके साथ ही ज्यादातर रिटेल कंपनियों ने अपनी विस्तार योजनाओं पर फिलहाल रोक लगा दिया है। जगह की बढ़ती कीमतों की वजह से कुछ कंपनियां तो शहरी इलाकों से मुंह मोड़ ग्रामीण इलाकों में बाजार तलाश रही हैं।
रैनबैक्सी समूह की फोर्टिस हेल्थवर्ल्ड ने 2012 तक देशभर में 1000 हेल्थ स्टोर खोलने की घोषणा की थी, लेकिन अब तक कंपनी केवल 45 स्टोर्स ही खोल पाई है।हाल के दिनों में चीफ एक्जिक्यूटिव ऑफिसर आशीष कृपाल पंडित समेत करीब सात वरिष्ठ प्रबंधक कंपनी छोड़कर जा चुके हैं। इसकी वजह से एसआरएल रैनबैक्सी पैथलैब चेन के चीफ एक्जिक्यूटिव डॉ. संजय चौधरी को कंपनी के सीईओ का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है।
मेडिसिन शॉपी भी अपने विस्तार योजनाओं में जल्दबाजी दिखाने के मूड में नहीं है। कंपनी ने तीन साल में करीब 500 मेडिकल स्टोर्स खोलने की घोषणा की थी, लेकिन पिछले नौ साल से कंपनी को एक भी नया स्टोर्स नहीं खुला है।
मणिपाल ग्रुप की क्योर एंड केयर रिटेल स्टोर्स ने 2006 में दो साल के अंदर 100 स्टोर्स खोलने की घोषणा की थी, लेकिन अब तक कंपनी का बेंगलुरु और अहमदाबाद में ही स्टोर्स खोला जा सका है। हैदराबाद की मेडप्लस ने 2008 तक देशभर में 800 मेडिकल स्टोर्स खालने की घोषणा की थी, लेकिन 260 स्टोर्स ही खोल पाई है।रिटेल कंपनियों को कुशल फर्मासिस्टों की कमी का भी सामना करना पड़ रहा है।