देश की प्रमुख जहाजरानी शिपिंग कंपनी ‘मर्केटर लाइंस’ ड्रेजर और ड्राई बल्क कारगो जहाजों की खरीद पर 4,000 करोड़ रुपये खर्च करेगी।
यह कंपनी बेड़े के आकार के लिहाज से देश की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी है।कंपनी के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया, ‘हम यूरोप से चार या पांच ड्रेजर और खरीदेंगे। इसके लिए हम मार्च, 2009 से पहले खरीदारी के ऑर्डर दे देंगे। हम चार ड्राई कारगो कैरियर पुन: बिक्री के जरिये खरीदेंगे और चार अन्य ड्रेजर की खरीद के लिए भी ऑर्डर दिए जाएंगे।’
6 महीने पहले मर्केटर ने 3 पुराने ड्रेजरों की खरीद कर ड्रेजिंग के क्षेत्र में प्रवेश किया और कंपनी ने चीन से एक और ड्रेजर की खरीदारी का ऑर्डर दिया है। कंपनी ने इन ड्रेजरों की खरीदारी के लिए तकरीबन 400 करोड़ रुपये का निवेश किया। इन ड्रेजरों को ड्रेजिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया में तैनात किया गया है।
ड्रेजिंग कारोबार में प्रवेश के औचित्य का जिक्र करते हुए अधिकारी ने कहा, ‘दक्षिण-पूर्व एशिया में डे्रजिंग के क्षेत्र में असीम संभावनाएं हैं, क्योंकि बंदरगाहों की संख्या बढ़ रही है और मौजूदा बंदरगाह बड़े जहाजों को अपनी ओर आकर्षित करना चाहते हैं।’
उन्होंने कहा कि कंपनी अपने पोर्टफोलियो में विभिन्न प्रकार के ड्रेजरों को शामिल करेगी। कंपनी ने यूरोप से नए ड्रेजर खरीदने की योजना बनाई है, क्योंकि चीनी ड्रेजरों में गुणवत्ता संबंधी कुछ समस्याएं हैं।
इसी तरह कंपनी ने अपने बेड़े में आठ ड्राई कारगो पोतों को भी शामिल करने की योजना बनाई है। उन्होंने कहा, ‘पोतों का वैश्विक कारोबार बढ़ने के साथ-साथ सामानों की मांग में इजाफा हो रहा है। अगले दो वर्षों में इस क्षेत्र के लिए कोई समस्या नहीं होनी चाहिए।’
अधिकारी ने कहा, ‘अपनी विस्तार योजना के लिए कोष बड़ी समस्या नहीं होगी, क्योंकि मर्केटर की वित्तीय स्थिति काफी मजबूत है। हम 4,000 करोड़ रुपये का 75 प्रतिशत तक ऋण प्राप्त कर सकते हैं।’