अनुमान से ज्यादा एमएसएमई का बकाया

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 15, 2022 | 7:55 PM IST

सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (एमएसएमई) का प्रतिनिधित्व करने वाले उद्योग संगठनों का कहना है कि केंद्र सरकार द्वारा बकाये के जल्द भुगतान के कई बार के आश्वासनों के बावजूद लंबित बकाया अभी आधिकारिक अनुमानों से बहुत ज्यादा बना हुआ है।
पिछले महीने एमएसएमई क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से तमाम नीतिगत घोषणाएं की गईं। उद्योग का कहना है कि इसके बावजूद बकाये की वसूली से जुड़ी समस्या यथावत बनी हुई है। सरकार पर एमएसएमई के बकाये का सही आंकड़ा आना मुश्किल है, लेकिन आम राय यह है कि करीब 2 से 3 लाख करोड़ रुपये बकाया है।
लेकिन मोदी सरकार इस बात को लेकर दृढ़ है कि बकाया 12,343 करोड़ रुपये है। यह सरकार के एमएसएमई मंत्रालय के समाधान पोर्टल पर दिए गए ऑनलाइन डिलेड पेमेंट मॉनिटरिंग सिस्टम से पता चलता है। केंद्र सरकार पर लंबित बकाया केंद्रीय मंत्रालयों व सरकारी कंपनियों पर है, जो इस समय जल्द भुगतान को लेकर वित्त मंत्रालय की निगरानी में हैं।
फेडरेशन आफ इंडियन माइक्रो, स्माल ऐंड मीडियम इंटरप्राइजेज के महासचिव अनिल भारद्वाज ने कहा, ‘बकाये के विस्तृत आंकड़े मिलने मुश्किल हैं, लेकिन एमएसएमई का करीब 2 से 3 लाख करोड़ रुपये भुगतान नहीं हुआ है।’
आल इंडिया मैनुफैक्चरर्स ऑर्गेनाइजेशन (एआईएमओ) के मुताबिक बकाया कहीं इससे ज्यादा 5 लाख करोड़ रुपये है। एआईएमओ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुदर्शन सरीन ने कहा, ‘देरी से भुगतान अब कारोबार का नियमित हिस्सा बन चुका है। हमें अभी भी जल्द भुगतान होने की आस नहीं है। बहरहाल हमने प्रधानमंत्री को लिखा है कि सूक्ष्म इकाइयों को मित्रों व परिवार के सदस्यों से 10 लाख रुपये तक बगैर कर देनदारी के कर्ज लेने की अनुमति दी जानी चाहिए, जिससे संकट के समय उनका कारोबार जारी रह सके।’
एआईएमओ ने मंत्रालय को यह भी सूचित किया है कि ज्यादातर एमएसएमई ऐसा नहीं कर रहे हैं क्योंकि उनके कारोबार पर इससे बुरा असर पड़ सकता है। सूत्रों ने कहा कि फर्मों ने उनसे संपर्क रोक दिया है, या अचानक सौदे रद्द किए जा रहे हैं।
सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम विकास अधिनियम 2006 में देर से भुगतान की समस्या को लेकर प्रावधान किया गया था। इसमें सबसे अहम है कि राज्य सरकारों को एमएसएमई सुविधा परिषद (एमएसईएफसी) स्थापित करना था, जिससे एमएसएमई के दावों को लेकर विवादों का निपटारा किया जा सके। अक्टूबर 2017 में पेश किए गए पोर्टल से एमएसईएफसी को ऑनलाइन किया गया और 44,000 आवेदन आए। प्लेटफॉर्म के आंकड़ों के मुताबिक इनमें से 3735 या 8.48 प्रतिशत आवेदनों का निपटान किया गया। पिछले महीने एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी ने भी बकाये के भुगतान का आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकल सका।

First Published : June 9, 2020 | 11:15 PM IST