अरबपति मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) के नेतृत्व वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) की एक कंपनी पर बैटरी सेल प्लांट स्थापित करने में विफल रहने के बाद जुर्माने लगने का खतरा मंडरा रहा है।
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, देश में ही उत्पादन को बढ़ावा देने की भारत सरकार की पीएलआई योजना (PLI Scheme) के तहत रिलायंस की न्यू एनर्जी लिमिटेड (Reliance New Energy) ने एक बोली जीती थी। यह बोली बैटरी सेल निर्माण के लिए थी। रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी प्लांट स्थापित करने की समय सीमा से चूक सकती है। इस स्थिति में कंपनी को 125 करोड़ रुपये या 1.43 करोड़ डॉलर तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है।
इसके अलावा एक और अन्य कंपनी राजेश एक्सपोर्ट्स लिमिटेड (Rajesh Exports) पर भी इतना ही जुर्माना लग सकता है। कंपनी ने बैटरी सेल बनाने के लिए पीएलआई योजना तहत आवेदन किया था।
रिपोर्ट में कहा गया कि विशेष रूप से एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति और उसके रिलायंस ग्रुप के लिए यह मौद्रिक जुर्माना भरना कोई बड़ी बात नहीं है। हालांकि, सरकार को इससे जरूर झटका लग सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि दुनिया की फैक्ट्री के रूप में चीन को टक्कर देने के पीएम मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ दृष्टिकोण को बाधित कर सकती है।
प्रधानमंत्री मोदी ने देश में मेन्यूफेक्चरिंग को ग्रॉस जीडीपी के के 25 प्रतिशत तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। हालांकि, इस सेक्टर की ग्रॉस जीडीपी में हिस्सेदारी 2014 में 15 प्रतिशत से घटकर 2023 में 13 प्रतिशत हो गई है।
रिलायंस न्यू एनर्जी, राजेश एक्सपोर्ट्स और ओला इलेक्ट्रिक मोबिलिटी लिमिटेड की इकाई ने पीएलआई योजना के तहत बैटरी सेल प्लांट बनाने के लिए 2022 में बोलियां जीती थीं। यह योजना इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए आयात पर निर्भरता को कम करने के देश के प्रयास का हिस्सा था।
रिपोर्ट के अनुसार, एडवांस केमिकल सेल बैटरी स्टोरेज की 30 गीगावाट-घंटे की क्षमता बनाने की परियोजना के लिए कंपनियों को 18,100 करोड़ रुपये की सब्सिडी मिलनी थी। कंपनियों को समझौते के दो साल के भीतर 25 प्रतिशत और पांच साल के भीतर 50 प्रतिशत स्थानीय वैल्यू एडिशन के साथ-साथ मिनिमम ‘कमिटमेंट कैपेसिटी’ हासिल करने की आवश्यकता थी।
बोली जीतने वाली तीसरी कंपनी भाविश अग्रवाल की ओला सेल टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड है। कंपनी ने पीएलआई योजना के तहत अपनी कम्तीमेंट पर प्रोग्रेस किया है।