टाटा मोटर्स के चेयरमैन रतन टाटा का आम आदमी की कार लेकर आने के सपने में खलल पड़ता दिख रहा है।
क्योंकि तमाम बड़े बैंकों जैसे आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक और अन्य वित्तीय संस्थानों ने दुनिया की सबसे सस्ती कार नैनो के खरीदारों को कर्ज मुहैया कराने के लिए अपने नियमों में खासा फेरबदल कर दिया है।
अपनी पहचान छुपाए रखने की शर्त पर एक बैंक अधिकारी ने बताया कि कर्ज न चुकाने वालों यानी डिफाल्टरों की बढ़ती संख्या से बचने के लिए बैंक दूसरी बार कार खरीदने वाले ग्राहक को कर्ज देने के अधिक इच्छुक है, बजाय दोपहिया वाहन वालों को जो कार खरीदना चाहते हैं।
इस समय दोपहिया वाहनों के लिए लिया गया कर्ज नहीं चुकाने वालों की संख्या अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच चुकी है, जिसकी वजह से बैंकों को या तो ऋण देने की सुविधा पर रोक लगानी पड़ी है या फिर उन्होंने सबसे ज्यादा डिफॉल्ट वाले क्षेत्रों जैसे हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार पर ध्यान देना कम कर दिया है।
एक अन्य बैंकर का कहना है, ‘हम ऐसे लोगों को नैनो खरीदने के लिए वित्त मुहैया नहीं कराएंगे, जिनके पास केवल दोपहिया वाहन है और वे सिर्फ नैनो खरीदने के लिए बजट में इजाफा कर रहे हैं। हम कर्ज लेकर भागने वाले डिफॉल्टरों के मामलों से पहले ही जूझ रहे हैं और इनमें ज्यादातर कर्ज दोपहिया वाहन खरीदने के नाम पर ही लिए गए थे।’
बैंकरों का कहना है कि नैनो के लिए कर्ज लेने पर ब्याज दर अन्य किसी भी कार के मॉडल से अधिक होगी, कर्ज को पहले से ही आवेदन किए जाने के आधार पर दिया जाएगा और वह भी कर्ज लेने वाले की आर्थिक स्थिति की अच्छी पड़ताल के बाद। कर्ज देने के नाम पर इस तरह की कवायद इससे पहले शायद ही किसी वाहन के लिए की गई हो।
निजी और सरकारी वित्तीय कंपनियां नैनो के लॉन्च पर काफी उत्साहित हैं, दोपहिया और कारों के बीच कीमत की खाई पाटने वाले सेगमेंट की शुरुआत होगी। बैंक और वित्तीय कंपनियां भी मान रही हैं कि नैनो के आने से उनके कारोबार में अच्छा इजाफा होगा।