टाटा की लखटकिया कार ‘नैनो’ की कीमत पर फिर से सवाल उठने लगे हैं। इसकी वजह है कच्चे माल की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि।
इसके चलते कंपनी को कार की लागत 1 लाख रुपये से कम रखने के लिए कड़ी जद्दोजहद करनी पड़ रही है। अब कंपनी योजना बना रही है कि नैनो के जरिए होने वाले घाटे को व्यावसायिक वाहनों की बिक्री के जरिये पूरा किया जाएगा।
वैसे कंपनी ने इस साल की शुरुआत में ही नैनो की कीमत 1 लाख रुपये से कम (इसमें वैट और परिवहन शुल्क शामिल नहीं है) रखने के लिए एक विशेष टीम बनाई थी, लेकिन इस दौरान कच्चे माल की कीमतों में तेजी से इजाफा हुआ है। ऐसे में इस टीम से किसी भी तरह के चमत्कार की उम्मीद करना बेमानी ही है।
अगर सब कुछ योजना के अनुसार हुआ, तो अक्टूबर में कार सड़कों पर आ जाएगी। पहले चरण में तकरीबन 2,50,000 लाख नैनो कार बनाने की योजना है जबकि दूसरे चरण में कंपनी ने सालाना 3,50,000 लाख कारें बनाने लक्ष्य रखा है।
कई ऑटो विशेषज्ञों का मानना है कि कंपनी के सामने कार की लागत 1 लाख रुपये से कम पर रखना असल चुनौती नहीं है, बल्कि लगातार इस कीमत पर कार को बनाने की है। हालांकि इस बारे में टाटा मोटर्स के प्रबंध निदेशक रविकांत ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।