टेलीमार्केटिंग कॉल्स नहीं रोक पा रही है एनडीएनसी

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 12:43 PM IST

श्वेता सिंह (बदला हुआ नाम) को दिन भर में टेलीमार्केटिंग के लिए कम से कम दो फोन तो आते ही हैं। इसके अलावा हर दूसरे दिन इंश्योरेंस एजेंटो और क्रेडिट कार्ड के लिए टेक्सट मैसेज आते रहते हैं।


इसमें कुछ भी नई बात नहीं हैं। लेकिन यह नई बात हो जाती है अगर आपने 8 महीने पहले नैशनल डू नॉट कॉल (एनडीएनसी) में इन सबके खिलाफ शिकायत की हो। जबकि एनडीएनसी का दावा है कि शिकायत करने के लगभग 45 दिनों में ही ऐसे कॉल्स आने बंद हो जाएंगे।

श्वेता के पास भारती एयरटेल और रिलायंस कम्युनिकेशंस के कनेक्शन हैं। उन्होंने बताया कि उसके सभी दोस्तों के पास ऐसे कॉल्स आते हैं। हालांकि नेट पर भी एनडीएनसी के पास ऐसी शिकायतों का सही आंकड़ा उपलब्ध नहीं था। लेकिन ऐसे कॉल्स और मैसेज की शिकायतें जरूर थी।

सितंबर 2001 में भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने ऐसी कॉल्स से उपभोक्ताओं को बचाने के लिए ‘डोन्ट कॉल रिजाइम’ के तहत एनडीएनसी की स्थापना की थी। सब्सक्राइबर को एनडीएनसी में दूरसंचार सेवा प्रदान करने वाली कंपनी को कॉल करने के बाद 45 दिनों के भीतर ऐसे मार्केटिंग कॉल्स का आना बंद हो जाएगा। लेकिन शिकायत दर्ज  कराने के 10 महीने बाद भी उपभोक्ताओं को ऐेसे कॉल्स आते हैं। नियामक संस्था ने शिकायत करने के बाद भी ऐसे कॉल आने की स्थिति में ऑपरेटर पर 500 रुपये के जुर्माने की बात की थी।

लेकिन लगातार ऐसा होने के कारण नियामक ने जुर्माना राशि को बढ़ाकर 20,000 रुपये कर दिया था। दिलचस्प बात यह है कि दूरसंचार विभाग और ट्राई के साथ ही निजी कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारी भी मानते हैं कि अभी भी उपभोक्ताओं को ऐसे कॉल्स आ रहे हैं।  दूरसंचार विभाग के एक अधिकारी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर बताया, ‘ट्राई के भारी जुर्माना लगाने के बाद भी एनडीएनसी पूरी क्षमता के साथ काम करने में नाकाम रही है। ऐसा इसीलिए हो रहा है क्योंकि कॉल करने से पहले टेलीमार्केटर्स खुद को पंजीकृत नहीं कराते हैं।’

एनडीएनसी के अस्तित्व में आने के बाद से किसी भी कंपनी पर कोई  भी कार्रवाई नहीं की गई हैं। नियामक संस्था के पास लगातार शिकायतें आने के बाद भी यह हाल है। लेकिन इसके लिए भी एक प्रक्रिया है। शिकायतों की जांच करना,  ऑपरेटर को चेतावनी देना। इन सबके बाद ही किसी भी ऑपरेटर पर जुर्माना लगाया जा सकता है। सैल्यूलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन के महानिदेशक टी वी रामचंद्रन ने बताया कि ऐसे कॉल्स वह कंपनियां कर रही हैं जिन्होंने एनडीएनसी में खुद को पंजीकृत नहीं कराया है।

उन्होंने कहा, ‘अगर टेलीमार्केटिंग कंपनियां खुद को पंजीकृत नहीं कराती है तो इसमे हम क्या कर सकते हैं? यह ज्यादातर वह कंपनियां होती हैं जो कम समय के लिए इस क्षेत्र में आती हैं। कुछ कंपनियां ऐसी भी होती है जो सेल्स और मार्केटिंग के क्षेत्र में हैं और इसका सीधा आरोप ऑपरेटर पर ही आता है।’ इससे भी बुरी बात तो यह हैं कि कुल टेलीमार्केटर्स में से कुछ एक ने ही एनडीएनसी के साथ पंजीकरण कराया हैं। अगर सभी टेलीमार्केटर्स एनडीएनसी के साथ पंजीकरण कराले तो यह समस्या पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी।

देश के लगभग 60 हजार टेलीमार्केटर्स में से मात्र 12 हजार ही एनडीएनसी के साथ पंजीकृत हैं। जबकि ऑपेरटर्स का कहना है कि वह सिर्फ सेवा मुहैया कराते हैं और  इसमें उनकी कोई गलती नहीं है। लेकिन अमेरिका में ऐसा नहीं है। सिएना इंडिया के उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक ने बताया कि अमेरिका मे डू नॉट कॉल के साथ पंजीकरण कराने  के बाद उन्हें ऐसी कोई शिकायत नहीं है।

अभी भी है परेशानी

1 सितंबर 2007 एनडीएनसी का गठन
ट्राई ने 500 रुपये जुर्माना लगाने का प्रस्ताव दिया
मार्च 2008- जुर्माना बढ़ाकर 20 हजार रुपये किया गया
एनडीएनसी ने सितंबर से अभी तक किसी भी ऑपरेटर कंपनी पर कोई भी जुर्माना नहीं लगाया है

First Published : July 21, 2008 | 10:55 PM IST