कंपनियों के नए ऑफर ताकि हो न जाएं टायर पंचर

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 06, 2022 | 9:04 PM IST

कच्चे माल की बढ़ती लागत का डंक टायर बनाने वाली कंपनियां भी झेल रही हैं।इससे बचने और बिक्री बढ़ाने के लिए उन्होंने कई आकर्षक योजनाएं ट्रक मालिकों के सामने रखी हैं।


इनमें छूट से लेकर बहुत कुछ शामिल है।टायर निर्माता कंपनियों की ओर से इसे बढ़ती कीमतों के कारण मालिकों को लगने वाली चोट पर मरहम कहा जा सकता है। सितंबर 2007 से अप्रैल 2008 के बीच के समय में टायर बनाने में लगने वाले कच्चे माल की बढ़ती कीमतों ने टायर निर्माता कंपनियों को इसी अवधि में टायर की कीमत में 7 से 10 प्रतिशत की वृध्दि करने पर मजबूर कर दिया।


भारत की दूसरी बड़ी टायर निर्माता कंपनी जेके टायर्स ने 21 अप्रैल से ‘ट्रक धिना-धिन उत्सव’ शुरु किया है और उम्मीद है कि यह 19 जुलाई तक चलेगा भी। 3 करोड़ रुपये के शुरुआती बजट के साथ इस योजना को शुरू किया गया, जिसमें 200 ट्रक मालिकों में से किन्हीं भी 20 ट्रक मालिकों को लक्की ड्रॉ के जरिये चुना जाएगा। जीतने वाले ट्रक मालिक को उसकी हर खरीद में हर टायर पर 500 रुपये छूट दी जाएगी।


जेके टायर्स के प्रबंध निदेशक, ए एस मेहता का कहना है, ‘इस उत्सव के जरिये हमें देश की 82 जगहों में फैले 70 हजार से भी अधिक ट्रक और बस मालिकों को समझने का मौका मिलेगा।’ इस उत्सव के अंतिम ड्रॉ के इनामों में मोटरसाइकिल से लेकर फ्रिज, टाटा के भारी वाहन से महिन्द्रा टेम्पो वाहन और यहां तक कि टाटा एस भी शामिल है। कंपनी का कहना है कि ट्रक मालिकों से मिल रही प्रतिक्रिया अब तक काफी अच्छी है।


प्रतिद्वंद्वी अपोलो टायर्स भी ग्राहकों को लुभाने में पीछे नहीं रही है। बाजार के बड़े हिस्से पर  कब्जा करने और  नए ग्राहकोंको जोड़ने के लिए कंपनी ने इस साल ट्रक मालिकों को उसके ‘आज खरीदो, भुगतान बाद में’, किस्तों की योजना जो इस वर्ष 1 फरवरी को लॉन्च की गई थी, से आकर्षित करने की कोशिश की।


कंपनी के अनुसार इस योजना में ब्याज दर, खुदरा व्यापारियों से ट्रक टायरों की किस्त योजना पर डिलीवरी में ब्याज दर से लगभग एक-चौथाई है। टायर के खुदरा व्यापारी जो औसतन दर लेते हैं वह 30 दिनों के लिए 2-2.5 प्रतिशत होती है।


अपोला टायर लिमिटेड के प्रमुख, भारतीय परिचालन कार्य, सतीश शर्मा का कहना है, ‘हमारा विचार इस योजना को और लंबे समय तक चलाने का है। क्योंकि अभी यह योजना काफी नई है, इसलिए मूल्य और इकाइयां बेची जाएंगी के आंकड़ों पर बताना अभी मुश्किल होगा। इस योजना को अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है और हमें उम्मीद है यह हमारे कारोबार में जरूर योगदान देगी।’


बेशक अन्य कंपनियां नकद या आकर्षक योजनाएं मुहैया नहीं करवा रहीं, लेकिन रेडियल टायरों पर  उनका ध्यान लगा हुआ है। सोची समझी रणनीति के तहत वे रेडियल टायरों की बिक्री बढ़ाने में लगी हैं। इसके पीछे उनका मानना है कि रेडियल टायरों की खरीद पर ट्रक मालिकों को जो बचत होगी, वह टायर की बढ़ती कीमतों से हो रहे नुकसान के मुकाबले काफी अधिक होगी।


जब आधी से अधिक यात्री कारें देश में रेडियल टायरों पर चल रही हैं, तब भारी व्यावसायिक वाहनों का सिर्फ 2 प्रतिशत ही रेडियल टायर का इस्तेमाल कर रहा है। रेडियल टायरों के प्रमाणित फायदों जैसे कि बेहतर ड्राइविंग का अनुभव और ईंधन खपत में अधिक बचत, जो 3 से 8 प्रतिशत से अधिक माईलेज है, के बावजूद देश के कई ट्रक मालिक अभी भी उच्च कोटि के रेडियल टायरों के फायदों को नहीं जानते।


यही वजह है कि ट्रक के टायर बनाने वाली बड़ी कंपनियां जेके टायर्स और सिएट टायर्स रेडियर टायरों के उचित इस्तेमाल के लिए ट्रक मालिकों को प्रशिक्षित करने के लिए पैसा खर्च कर रही हैं। सिएट टायर्स के उपाध्यक्ष (सेल्स और मार्केटिंग) अर्णव बनर्जी का कहना है, ‘हमारे पास 50 सदस्यों वाली ग्राहक टीम हैं और रेडियल टीम में खास 25 सदस्य शिक्षक हैं जो देशभर में फैले हुए हैं।


वे ट्रक मालिकों पर लगातार नजर रखते हैं और रेडियल टायरों के इस्तेमाल में सुधार के उपाय उन्हें बताते रहते हैं। मुख्य अभ्यास जैसे कि व्हील बैलेंसिंग, वाहन की देख-रेख, टायरों में हवा का निश्चित दबाव बनाए रखना आदि के बारे में वे हमेशा उन्हें बताते रहते हैं।’

First Published : May 5, 2008 | 12:53 AM IST