पेट्रोलियम पदार्थों के महंगे होने से पहले ही कराह रहे कार बाजार को रिजर्व बैंक की रेपो रेट बढ़ाने की घोषणा से तकलीफ होना लाजिमी है। लेकिन इसका पूरा फायदा पुरानी कारों के बाजार को मिलना तय है।
रेपो रेट में इजाफे के बाद सभी बैंकों की ओर से वाहन ऋण के लिए भी ब्याज दर में बढ़ोतरी होना लगभग तय है। इसकी वजह से नई कारें और भी महंगी हो जाएंगी। इसी पहलू पर पुरानी कारों के खिलाड़ियों को भरोसा है।
पुरानी कारों के बाजार में मारुति सुजुकी की ट्रू वैल्यू, महिन्द्रा की फर्स्ट च्वायस और हुंडई के नाम बड़े खिलाड़ियों के तौर पर शुमार हैं। आंकड़ों के अनुसार भारत में प्रतिवर्ष लगभग 16 लाख पुरानी कारें बिकती है और अब इसकी बिक्री में और इजाफे की उम्मीद है।
फर्स्ट च्वायस के सीईओ विनय सांघवी ने बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत में कहा, ‘ब्याज दरों में बढ़ोतरी किए जाने से नई कार और महंगी हो जाएंगी क्योंकि नई कारों के लिए वाहन ऋण कम से कम 1 फीसद महंगा हो जाएगा। ऐसे में खरीदारों की दिलचस्पी पुरानी कारों में बढ़ सकती है।’ सांघवी बतातें कि पिछले वर्ष उनकी कंपनी ने 20,000 पुराने कारें बेची थीं और अगले 5 साल में यह आंकड़ा पांच गुना होने की उन्हें उम्मीद है। सांघवी मानते हैं कि हरेक वर्ग के लोगों का रुझान पुरानी कारों की ओर बढ़ा है। इसी वजह से केवल कम आय वाला वर्ग नहीं बल्कि अच्छा खासा वेतन पाने वाले भी इस बाजार की ओर रुख कर सकते हैं।
पुरानी कारों के मैदान में कुछ समय पहले ही उतरी हुंडई के प्रवक्ता राजीव मित्रा को लगता है कि ब्याज दर बढ़ने का कार बाजार पर खास असर नहीं होगा। लेकिन इस बात से वह भी सहमत हैं कि पुरानी कारों के बाजार में इससे चमक आ जाएगी। पुरानी कारों के बाजार की सबसे पुरानी खिलाड़ी मारुति ने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।