ऑर्किड केमिकल्स ऐंड फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड का नाम इस हफ्ते सुर्खियों में बना रहा।
पिछले महीने शेयरों में जबर्दस्त गिरावट का झटका झेल चुकी इस कंपनी पर इस हफ्ते अधिग्रहण का खतरा मंडराने लगा।दवा बाजार की दिग्गज रैनबैक्सी के प्रमोटर समूह की निवेश कंपनी सोलरेक्स ने जब ऑर्किड में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर 11.4 फीसद कर ली, तो कंपनी के अधिग्रहण की बात बाजार में फैल गई।
इसका नतीजा तुरंत दिखा और कंपनी के शेयरों ने आसमान का रुख कर लिया। इसी साल 17 मार्च को मंदी की चपेट में आकर 127.05 रुपये तक उतरे शेयर इस मंगलवार को 239.95 रुपये के रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गए।
हालांकि रैनबैक्सी ने अधिग्रहण के कयासों को अफवाह बताया, लेकिन जानकारों के मुताबिक वह सोलरेक्स के जरिये अपनी कोशिशें जारी रखेगी। उनके मुताबिक 2,400 करोड़ रुपये की कंपनी ऑर्किड का कारोबार और दवाएं बनाने में उसकी महारत इसकी वजह हैं।
एंजेल ब्रोकिंग फर्म में औषधि क्षेत्र की विश्लेषक सरबजीत कौर नागरा का कहना है, ‘पिछले 3 साल में विश्व स्तर की बल्क ड्रग निर्माण इकाइयों में ऑर्किड ने काफी रकम लगाई है। कुछ खास क्षेत्रों में यह नामी कंपनी है। इसके अधिग्रहण से रैनबैक्सी को खास तौर पर अमेरिकी और यूरोपीय बाजार में काफी बढ़त मिल जाएगी।’
ऑर्किड ने नई दवाओं की कई अर्जियां दे रखी हैं। कंपनी प्रवक्ता के मुताबिक इनमें से 25 को मंजूरी मिल गई है और बाकी 22 को 2 साल में मंजूरी मिल जाएगी। जानकारों की मानें, तो रैनबैक्सी अर्जियों और उनके जरिये बनने वाली दवाओं पर निगाह गड़ाए है।
अधिग्रहण का यह जाल दरअसल कंपनी के प्रमोटरों की कम हिस्सेदारी की वजह से ही बुना जा रहा है। ऑर्किड के प्रमोटरों के पास कंपनी की केवल 15.87 फीसद शेयर हैं। सोलरेक्स ने पिछले शुक्रवार और इस सोमवार को शेयर खरीद के जरिये अपनी हिस्सेदारी बढ़ा ही ली है। अगर वह इसे 15 फीसद के ऊपर ले जाती है, तो मौजूदा कानूनों के तहत वह अधिग्रहण की पेशकश कर सकती है।
ऑर्किड भी इससे बखूबी वाकिफ है। इसी वजह से उसने अपने संस्थागत निवेशकों का समर्थन हासिल करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। लगभग एक दर्जन संस्थागत निवेशकों के पास ऑर्किड के 38 फीसद शेयर हैं। इनमें गजल इंडस्ट्रियल होल्डिंग्स (8.48 फीसद) मैक्वारी बैंक (5.13 फीसद), जीवन बीमा निगम (4.91 फीसद) और हार्पलाइन लिमिटेड (4.54 फीसद) प्रमुख हैं।
हालांकि ऑर्किड के उप प्रबंध निदेशक सी बी राव सोलरेक्स की शेयर खरीद को महज हिस्सेदारी बढ़ाने की कवायद मान रहे हैं। उन्होंने गुरुवार को कहा कि यह अधिग्रहण की कोशिश नहीं है।
ऑर्किड केमिकल्स ऐंड फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड की स्थापना 1992 में की गई थी। देश की शीर्ष 15 दवा कंपनियों में शुमार इस कंपनी की की चेन्नई और मुंबई के पास कुल 5 विनिर्माण इकाइयां हैं। चेन्न्ई के पास उसके 2 अनुसंधान एवं विकास केंद्र भी हैं। चीन में उसका साझा उपक्रम और जापान में सहायक कंपनी ऑर्किड फार्मा जापान के के (ऑर्किड जापान) हैं।
प्रस्तुति : ऋषभ कृष्ण सक्सेना