सहारा शहर के मसले पर सहारा समूह और उत्तर प्रदेश सरकार के बीच छिड़े विवाद में उच्चतम न्यायालय ने आज पुख्ता कदम उठाया और सहारा समूह को राहत दे दी।
न्यायालय ने सहारा समूह को टीन के वे सभी बाड़े फिर से लगाने की इजाजत दे दी है, जिन्हें लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) ने सहारा शहर से हटा दिया था। इसके साथ ही न्यायालय ने इस मामले में दोनों पक्षों की ओर से दाखिल याचिकाओं का निपटारा कर दिया।
सहारा शहर को ढहाने के मामले में 23 जून को जारी यथास्थिति बरकरार रखने के आदेश में परिवर्तन करते हुए उच्चतम न्यायालय ने सहारा समूह और उत्तर प्रदेश सरकार दोनों की याचिका निपटा दी। उच्चतम न्यायालय के यथास्थिति बरकरार रखने के आदेश के बाद भी एलडीए की ओर से बाड़े तोड़े जाने के बाद दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के खिलाफ अवमानना से जुड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
उच्चतम न्यायालय ने हालांकि निर्देश दिया कि उच्च न्यायालय इस मामले पर तेजी से सुनवाई करे। उच्चतम न्यायालय की ओर से नियुक्त वरिष्ठ वकील एल. नागेश्वर राव की निगरानी में फिर से बाड़े लगाने का काम 28 और 29 जून को किया जाएगा।
अल्तमश कबीर की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस एलडीए की ओर से दायर याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि उच्च न्यायालय के 10 और 20 जून को जारी अंतरिम आदेश को दरकिनार कर दिया गया जिसमें कहा गया था कि अगली सुनवाई किए जाने तक दोनों पक्ष 23 जून वाली यथास्थिति ही बरकरार रखेंगे।