रिलायंस पावर का ‘पावरफुल’ ऑर्डर

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 05, 2022 | 5:17 PM IST

रिलायंस पावर जल्द ही एक और धमाका करने वाली है। अनिल धीरूभाई अंबानी समूह की यह कंपनी अपने बिजली संयंत्रों के लिए दुनिया का सबसे बड़ा ऑर्डर देने के लिए तैयार है।


तकरीबन 10,000 करोड़ रुपये के इस ऑर्डर में संयंत्रों के लिए 12 बॉयलर, टर्बाइन और जेनरेटर खरीदे जाएंगे। इन उपकरणों के लिए दुनिया भर में अब तक कभी इतना बड़ा ऑर्डर नहीं दिया गया है।


जब ऑर्डर इतना बड़ा है, तो उसे लपकने के लिए मारामारी मचनी लाजिमी है। बॉयलर और टर्बाइन बनाने वाली 5 नामी कंपनियां इटली की अंसाल्दो, कोरिया की दूसान, जापान की तोशीबा, चीन की शांघाई इलेक्ट्रिक और रूस की पावर मशीन्स यह ऑर्डर हासिल करने के लिए होड़ में हैं। सूत्रों के मुताबिक कुल मिलाकर यह ऑर्डर 8,000 मेगावाट बिजली क्षमता के लिए होगा।


इन वैश्विक कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारी ठेके के लिए खुद मुंबई में डेरा डाल चुके हैं। रिलायंस पावर के साथ उनकी बातचीत अंतिम दौर में है। कंपनी के सूत्रों की मानें, तो एक दो दिन में ही ऑर्डर का पूरा खुलासा कर दिया जाएगा। शर्तों के तहत ऑर्डर जीेतने वाली कंपनी को चार-पांच साल में ही उपकरणों की आपूर्ति करनी होगी।रिलायंस पावर ये उपकरण खास तौर पर सासन और कृष्णापट्टनम की अल्ट्रा मेगा पावर परियोजनाओं के लिए मंगा रही है। सासन में कंपनी 18,300 करोड़ रुपये का निवेश कर रही है।
 
कृष्णापट्टनम परियोजना की क्षमता 4,000 मेगावाट होगी। यह परियोजना आंध्र प्रदेश में लगाई जानी है।रिलायंस पावर सासन परियोजना के लिए बेहद तेजी से काम कर रही है। लगभग 3,960 मेगावाट क्षमता वाली यह परियोजना 2012 में शुरू करने की योजना बनाई गई थी। लेकिन इसका पहला चरण अब कुछ समय पहले ही शुरू किया जाएगा।


कंपनी बिजली परियोजनाओं को शुरू करने में अब कोताही नहीं बरत रही है। वह 2009-10 में रोसा बिजली परियोजना में उत्पादन शुरू करने वाली है। इसकी क्षमता 600 मेगावाट है।कंपनी देश की सबसे बड़ी निजी बिजली उत्पादक बनने के लक्ष्य पर काम कर रही है। मौजूदा परियोजनाएं शुरू होने के पास कंपनी के पास कुल 13 परियोजनाएं हो जाएंगी। उसकी कुल बिजली उत्पादन क्षमता 28,200 मेगावाट तक पहुंच जाएगी।


रिलायंस पावर हाल ही में अपने पहले सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) से जुटाई रकम का इस्तेमाल इस ऑर्डर में कर रही है। कंपनी ने जनवरी में ही देश के सबसे बड़े आईपीओ के जरिये 12,000 करोड़ रुपये जुटाए थे।हालांकि रिलायंस के प्रवक्ता ने इस मामले में कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया, लेकिन सूत्रों ने ऑर्डर की बात को बिल्कुल सही बताया है।


उनके मुताबिक देश में बिजली उपकरण बनाने वाली एकमात्र सरकारी कंपनी भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड इस ऑर्डर में कोई भी दिलचस्पी नहीं दिखा रही है। दरअसल कंपनी के पास 10,000 मेगावाट बिजली उत्पादन के लिए जरूरी उपकरण बनाने की क्षमता है। अपनी पूरी क्षमता के ऑर्डर वह पहले ही हासिल कर चुकी है। इसलिए अब उसे नए ऑर्डर नहीं चाहिए।?हालांकि वह क्षमता में 5,000 मेगावाट का इजाफा कर रही है, लेकिन यह काम 2009-10 से पहले पूरा नहीं हो पाएगा।

First Published : March 29, 2008 | 12:35 AM IST