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सवाल-जवाब: विदेशी निवेशक भारत के महंगे मूल्यांकन के लिए तैयार- CIO मनराज एस सेखों

Templeton Global Investments के CIO ने कहा कि कॉरपोरेट बैलेंस शीट अच्छी हालत में है और रोजगार वृद्धि लगातार मजबूत बनी हुई है। हमारी नजर छोटी और मझोली कंपनियों पर होगी।

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अभिषेक कुमार   
Last Updated- January 28, 2024 | 9:55 PM IST

टेम्पलटन ग्लोबल इन्वेस्टमेंट्स में मुख्य निवेश अधिकारी मनराज एस सेखों ने अभिषेक कुमार के साथ साक्षात्कार में बताया कि वैश्विक निवेशक भारत सहित उभरती अर्थव्यवस्थाओं द्वारा किए गए सुधारों पर ध्यान देते हैं और जब भी अमेरिकी फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में नरमी करेगा, वे उभरते बाजारों (ईएम) को अधिक सकारात्मक रूप से देखना शुरू कर देंगे। उनका कहना है कि अन्य प्रमुख बाजारों के साथ भारत के कम सह-संबंध ने उसे विदेशी निवेशकों के लिए उपयुक्त दांव बना दिया है। उनसे बातचीत के अंश:

बाजारों के लिए इस साल सबसे प्रमुख सवाल यह है कि क्या अमेरिका ब्याज दरें घटाएगा? अगर ऐसा नहीं हुआ तो वैश्विक बाजार कैसी प्रतिक्रिया देंगे?

हां, हमें इस साल उधारी परिदृश्य उदार रहने का अनुमान है। अमेरिकी अर्थव्यवस्था दर वृद्धि के बावजूद पिछले साल मजबूत बनी रही। कॉरपोरेट बैलेंस शीट अच्छी हालत में है और रोजगार वृद्धि लगातार मजबूत बनी हुई है। हमारी नजर छोटी और मझोली कंपनियों पर होगी। बड़ी तादाद में रोजगार मुहैया कराने वाली इन कंपनियों को दर वृद्धि की वजह से ऊंची लागत का सामना करना पड़ रहा है। कुल मिलाकर, हम अमेरिकी बाजार पर आशान्वित हैं। अगर बड़ी मंदी आती है तो फेड मौद्रिक नीति में नरमी करेगा। इससे बाजार को राहत मिलेगी।

उभरते बाजारों के लिए यह कैसा संकेत है?

हम इस साल उभरते बाजारों पर सकारात्मक हैं। इससे उभरते बाजारों के प्रति निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ेगी। इसके परिणामस्वरूप, मुद्रा पर दबाव घटेगा। पिछले कुछ वर्षों में ज्यादातर उभरते बाजारों ने ब्याज दर चुनौतियों के बावजूद काफी बेहतर प्रदर्शन किया है।

कोविड-पूर्व अवधि में प्रमुख सुधारों की वजह से ऐसा संभव हुआ, जिनमें कराधान से लेकर मौद्रिक और दिवालियापन सुधार शामिल हैं। बाजार ने सुधारों की पहचान और मुद्राओं की स्थिरता पर ध्यान दिया। जब फेड ब्याज दरें घटाता है, निवेशक उभरते बाजारों पर ज्यादा ध्यान देते हैं।

क्या इस साल चीन में बाजी पलट सकती है? क्या मौजूदा मूल्यांकन में कई नकारात्मक खबरों का असर शामिल हो चुका है?

हम चीन पर सतर्क बने हुए हैं। संपूर्ण आर्थिक मॉडल अब बदल गया है और अब यह कम खुला और ज्यादा नियंत्रित हो गया है। इसके साथ साथ अर्थव्यवस्था को साफ-सुथरा बनाने की कोशिश कर रहे नए नेतृत्व ने अनिश्चितता को बढ़ावा दिया है। निर्णय लेने की प्रक्रिया भी धीमी पड़ रही है। निवेशकों के लिए स्पष्टता में कमी आई है और इसलिए जोखिम बढ़ा है। यही वजह है कि आप काफी कम मूल्यांकन देख रहे हैं।

भारत में विश्लेषकों को इस साल बड़ी तेजी की गुंजाइश नहीं दिख रही है। वैश्विक निवेशकों की बढ़ती दिलचस्पी की वजह क्या है?

हम मूल्यांकन पर चर्चा कर सकते हैं, लेकिन भारत के प्रति वैश्विक निवेशकों का ध्यान ऐसा पहले कभी नहीं रहा। कराधान, डिजिटलीकरण, बैंकिंग और दिवालियापन सभी के संबंध में सुधार अब नई बात नहीं हैं। नई बात यह है कि अन्य जगह चुनौतियों के कारण आप भारत में एफडीआई प्रवाह देख रहे हैं जिसकी पहले हमेशा कमी थी। उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना और चाइना-प्लस-वन रणनीति के कारण कंपनियां भारत में अपनी क्षमता में दूसरी जगह से ला रही हैं।

भले ही आंकड़े कमजोर हैं, लेकिन रुझान और राह सकारात्मक है। चीन का आकर्षण घट रहा है और भारत ऐसी स्थिति में है जब निवेशक सुधारों के लाभ के अलावा जनसांख्यिकीय और डिजिटल बदलाव से होने वाले फायदे भी देख रहे हैं। प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) ने सफलता की यह कहानी दुनिया के साथ साझा करके अच्छा काम किया है।

क्या आप किसी तरह की नई समस्या देख रहे हैं?

हम कुछ समय से आय में समस्या देख रहे हैं, लेकिन शायद अब यह दूर हुई है। यदि आप अमेरिका के लिए वृद्धि और मुद्रास्फीति पूर्वानुमानों पर विचार करें तो पता चलता है कि वे नीचे आ रहे हैं और फिर ऊपर जा रहे हैं। अर्थव्यवस्था अभी अच्छी स्थिति में है। न ज्यादा बहुत अच्छी, और न ही खराब। यदि अमेरिका में मंदी आती है, तो फेड के पास नीति में ढील देने की गुंजाइश है। भू-राजनीतिक जोखिम हमेशा मौजूद रहते हैं, बस स्रोत बदल जाते हैं।

भारत के अलावा आपको उभरते बाजारों में कहां अवसर दिख रहे हैं?

हम ब्राजील में अवसर देख रहे हैं क्योंकि वहां मूल्यांकन सस्ते हैं। पश्चिम एशिया में दिलचस्पी बढ़ रही है, लेकिन वैश्विक संदर्भ में अवसरों का अभाव बना हुआ है। हम उत्तर एशिया में नई अर्थव्यवस्था पर उत्साहित हैं, जिसमें वाहनों के विद्युतीकरण और हरित ऊर्जा जैसी थीम लोकप्रिय हो रही हैं। चीन, ताइवान और दक्षिण कोरिया में भी कुछ आकर्षक कंपनियां मौजूद हैं।

First Published : January 28, 2024 | 9:55 PM IST