पिछले कारोबारी साल की आखिरी तिमाही में इस सेक्टर की बिक्री में गिरावट देखी गई है।
जहां तक मांग का सवाल है ग्राहक अपनी खरीद इस उम्मीद में टाल रहे हैं कि आगे कीमतों में कुछ कमी आएगी और ब्याज की दरें भी कुछ सुस्त पड़ेंगीं। दूसरी ओर डेवलपरों को सस्ता कर्ज मिलने में दिक्कत हो रही है और बैंक भी इन्हे कर्ज नहीं देना चाहते।
रिहायशी और रिटेल दोनों की तरह की मांग में कुछ सुस्ती आई है हालांकि ऑफिस स्पेस की मांग मजबूत बनी हुई है और इसमें सप्लाई भी काफी होने से कीमतों में कुछ नरमी आ सकती है। लेकिन प्रॉपर्टी की बिक्री में गिरावट और मेट्रो शहरों के बाहरी इलाकों और टियर-2 के शहरों में भावों में कमी आने के बावजूद ज्यादातर कंपनियों के इस तिमाही के नतीजे ठीक ठाक ही रहेंगे।
कुल सेक्टर को देखें तो दिसंबर 2007 की तुलना में मार्च 2008 में इनकी बिक्री में 50-100 फीसदी का इजाफा देखा जा सकता है।प्रॉपर्टी बाजार में मंदी इन कंपनियों के नतीजों में देरी से समझी जा सकती है क्योकि ज्यादातर कंपनियां अपनी कमाई उसी समय दर्ज करती हैं जब भी उनके चालू प्रोजेक्ट का एक हिस्सा पूरा हो जाता है।
लिहाजा मार्च की तिमाही में उन प्रोजेक्ट्स की कमाई भी शामिल होगी जो शुरू हो चुके हैं। डीएलएफ ने चेन्नई और कोलकाता में हाउसिंग प्रोजेक्ट्स पर काम शुरू किया है जबकि यूनीटेक ने ग्रेटर नोएडा में प्रोजेक्ट शुरू किये हैं जिनकी कीमतें 20-25 फीसदी कम रखी गई हैं।