देश का रिटेल स्पेस सेक्टर भी प्रगति की राह पर चल रहा है। आगे इसके और तेजी से बढ़ने की उम्मीद है। अगले साल 5 साल के दौरान इस सेक्टर में 50 फीसदी वृद्धि होने की संभावना है। सबसे अधिक वृद्धि दिल्ली-एनसीआर में हो सकती है। रिटेल स्पेस उद्योग का ध्यान बड़े आकार के प्रोजेक्ट पर भी है। नई आपूर्ति का 78 फीसदी हिस्सा पट्टा (lease) आधारित रहने वाला है।
संपत्ति सलाहकार फर्म जेएलएल इंडिया के मुताबिक 2024 की पहली तिमाही तक देश में रिटेल स्पेस का स्टॉक 8.9 करोड़ वर्ग फुट दर्ज किया गया। साल 2028 के अंत तक इसमें 4.5 करोड़ वर्ग फुट स्टॉक और जुड़ने का अनुमान है। इस तरह अगले 5 साल के दौरान रिटेल स्टॉक 50 फीसदी बढ़कर 13.4 करोड़ वर्ग फुट हो जाएगा।
रिटेल स्पेस आपूर्ति का औसत आकार पिछले दशक की तुलना में 30 फीसदी बढ़ने की उम्मीद है। बीते एक दशक में औसत आकार 3,91,099 वर्ग फुट रहा। इसके 2024 की दूसरी तिमाही से 2028 के अंत तक बढ़कर 5,07,341 वर्ग फुट तक पहुंचने की उम्मीद है। अगले 5 साल में जुड़ने वाली रिटेल स्पेस की नई आपूर्ति 4.5 करोड़ वर्ग फुट का 78 फीसदी हिस्सा पट्टे (lease) पर आधारित है, जो डेवलपर को संपत्ति के दिन-प्रतिदिन के प्रबंधन पर अधिक नियंत्रण रखने की अनुमति देता है। साथ ही उन्हें अधिक किराया प्राप्त करने में सक्षम बनाता है।
अगले 5 साल में 88 नये रिटेल प्रोजेक्ट बनने वाले हैं। जेएलएल इंडिया में मुख्य अर्थशास्त्री डॉ. सामंतक दास ने बताया कि अगले 5 वर्षों में 88 रिटेल प्रोजेक्ट में से 12 बड़े आकार के प्रोजेक्ट होंगे। जिनमें से प्रत्येक का क्षेत्रफल कम से कम 10 लाख वर्ग फुट होगा। इन प्रोजेक्ट की 2028 तक अपेक्षित कुल आपूर्ति में 37 फीसदी हिस्सेदारी होगी, जबकि पिछले एक दशक में 10 लाख वर्ग फुट वाले बड़े प्रोजेक्ट की कुल रिटेल आपूर्ति में 27 फीसदी हिस्सेदारी रही है। दिल्ली एनसीआर में अगले 5 वर्षों में 25 लाख वर्ग फुट से अधिक के दो रिटेल सेंटर खुलेंगे।
अगले 5 साल के दौरान रिटेल स्पेस क्षेत्र में दिल्ली-एनसीआर सबसे आगे रहने वाला है। जेएलएल इंडिया में ऑफिस लीजिंग एडवाइजरी और रिटेल सर्विसेज के प्रमुख राहुल अरोड़ा ने कहा कि मौजूदा रिटेल स्टॉक 8.9 करोड़ वर्ग फुट है, जो 2028 के अंत तक 50 फीसदी बढ़कर 13.4 करोड़ वर्ग फुट तक पहुंचने की उम्मीद है। अगले 5 वर्षों में इसमें दिल्ली एनसीआर की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा 43 फीसदी रहने की उम्मीद है।
इसके बाद हैदराबाद की हिस्सेदारी 21 फीसदी और चेन्नई की हिस्सेदारी 13 फीसदी रहने की उम्मीद है। बड़े विदेशी संस्थागत निवेशकों के लिए रिटेल परिसंपत्तियां एक आकर्षक निवेश का जरिया बनी हुई हैं, जो तेजी से ग्रीनफील्ड और ब्राउनफील्ड डेवलपमेंट प्लेटफार्म का विकल्प चुन रहे हैं। नई आपूर्ति का 16 फीसदी 72 लाख वर्ग फुट हिस्सा संस्थागत खिलाड़ियों के पास है।