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Unsold housing inventory: मकानों की बिक्री जोर पकड़ रही है। इससे बिना बिके मकानों की संख्या में भी गिरावट आ रही है। इन मकानों की संख्या में सबसे अधिक कमी दिल्ली—एनसीआर रीजन में आई है। सबसे कम बिना बिके मकान नोएडा और सबसे अधिक गुरुग्राम में बचे हैं। दिल्ली—एनसीआर के अलावा दूसरे प्रमुख शहरों में भी बिना बिके मकानों की संख्या घटी है।
दिल्ली—एनसीआर में कितनी है अब बिना बिके मकानों की संख्या?
रियल एस्टेट सलाहकार फर्म एनारॉक के मुताबिक 2018 की पहली तिमाही में दिल्ली—एनसीआर में बिना बिके मकानों की संख्या 2,00,476 थी, जो 2024 की पहली तिमाही में घटकर 86,420 रह गई। इस तरह बीते 5 साल में इन मकानों की संख्या में 57 फीसदी कमी आई है।
दिल्ली—एनसीआर में कहां सबसे अधिक घटे बिना बिके मकान?
एनारॉक के आंकडों के अनुसार बिना बिके मकानों की संख्या में सबसे ज्यादा 71 फीसदी कमी नोएडा में आई है। नोएडा में 2018 की पहली तिमाही में बिना बिके मकानों की संख्या 25,669 थी, जो 2024 की पहली तिमाही में 71 फीसदी घटकर 7,451 रह गई। साथ ही दिल्ली—एनसीआर में नोएडा में ही सबसे कम बिना बिके मकान बचे हैं। बीते 5 साल के दौरान ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद में बिना बिके मकानों की संख्या 70—70 फीसदी घटकर क्रमश: 18,668 और 11,011 रह गई। इसी अवधि में गुरुग्राम में बिना मकानों की संख्या 37 फीसदी घटकर 33,326 और फरीदाबाद/दिल्ली/ भिवानी में यह संख्या 31 फीसदी घटकर 15,964 रह गई। गुरुग्राम में बिना बिके मकानों की संख्या सबसे ज्यादा है।
दूसरे प्रमुख शहरों में क्या रहा बिना बिके मकानों का हाल?
दिल्ली—एनसीआर के साथ ही दूसरे प्रमुख शहरों में भी बिना बिके मकानों की संख्या घटी है। एनारॉक के आंकड़ों के अनुसार दक्षिणी बाजार हेदराबाद, बेंगलूरु और चेन्नई में बिना बिके मकानों की संख्या 11 फीसदी घटकर 1,75,520, पश्चिमी बाजार मुंबई मेट्रोपोलिटन रीजन (MMR) व पुणे में इनकी संख्या 8 फीसदी घटकर 2,89,677 और पूर्वी बाजार कोलकाता में यह संख्या 41 फीसदी घटकर 29,278 रह गई।
बीते 5 साल में कितने जुड़े नये मकान
एनारॉक के अनुसार बीते 5 साल में नये मकानों आपूर्ति भी खूब हुई है। इस दौरान उत्तरी क्षेत्र में 1,80,895, दक्षिणी क्षेत्र में 6,06,654 मकानों की नई आपूर्ति की गई। पूर्वी क्षेत्र में यह आंकड़ा 80,934 रहा, जबकि बीते 5 साल के दौरान पश्चिमी क्षेत्र में सबसे अधिक 8,42,298 नये मकानों की आपूर्ति की गई। कुल मिलाकर बीते 5 साल में इन क्षेत्रों के प्रमुख शहरों में करीब 17 लाख नये मकानों की आपूर्ति की गई।