अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मंदी आने से भारत सरकार और तमाम कॉरपोरेट दिग्गजों के माथों पर शिकन पड़ने लगी है और इसके असर को लेकर सभी अभी से परेशान हो रहे हैं।
लेकिन विभिन्न उद्योगों के मार्केटिंग प्रमुख इसको लेकर खास परेशान नहीं दिख रहे।
प्रचार में कसर नहीं
मार्केटिंग प्रमुखों को परेशान कहने की तो कोई बात ही नहीं है। आलम यह है कि विज्ञापनों में अपने खर्च को वे और बढ़ाते जा रहे हैं। साफ मतलब है कि उन्हें बाजार में ज्यादा ज्यादा से ज्यादा मुनाफा नजर आ रहा है। इसी वजह से उन्होंने विज्ञापन और प्रचार के लिए अपने बजट में इस साल 27 फीसदी का इजाफा कर दिया है।
ज्यादा खर्च की आस
पिच-मैडिसन एडवर्टाइजिंग आउटलुक की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक उपभोक्ता वस्तुओं, ऑटोमोबाइल, बैंकिंग एवं फाइनैंस और दूरसंचार क्षेत्र के तकरीबन 60 मार्केटिंग प्रमुखों को उपभोक्ताओं से बहुत उम्मीदें हैं। उन्हें लगता है कि इस साल उपभोक्ता पहले से भी ज्यादा खर्च करेंगे।
इतना ही नहीं, नई दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और चेन्नई के ये मार्केटिंग प्रमुख उपभोक्ताओं की खर्च करने की आदत को लेकर तो आश्वस्त हैं ही, अपने मुनाफे में भी उन्हें कोई कमी नजर नहीं आ रही है।
सर्वेक्षण में शामिल मार्केटिंग प्रमुखों में से 88 फीसदी ने उपभोक्ताओं के बारे में आशा जताई। लगभग 70 फीसदी को लगा कि मार्केटिंग और विज्ञापन में अपने खर्च में उन्हें कम से कम 20 फीसदी का इजाफा करना पड़ेगा। लगभग 88 फीसदी को लगता है कि 2007 के मुकाबले यह साल उनके लिए बेहतर साबित होगा।
लेकिन 8 फीसदी के मुताबिक इस साल भी उपभोक्ता खर्च की तस्वीर कमोबेश पिछले साल की ही तरह रहेगी। बाकी मार्केटिंग प्रमुख अमेरिकी मंदी की बात से वाकई घबराए हुए हैं और उन्हें इस साल बुरी खबर आने का अंदेशा है।
रिपोर्ट के मुताबिक 45 फीसदी मार्केटिंग प्रमुखों ने इस साल अपने प्रचार बजट में 20 फीसदी इजाफे की योजना बना ली है। लगभग 18 फीसदी इस बजट में 15 फीसदी की बढ़ोतरी के बारे में सोच रहे हैं। बाकी लगभग 10 फीसदी के आंकड़े पर हैं।कंपनियों को मार्केटिंग के मामले में क्रिकेट पर ही ज्यादा यकीन है।
…विज्ञापन की बौछार कम नहीं
भारतीय कंपनियों को अमेरिकी मंदी से बहुत फर्कपड़ता नहीं दिख रहा
उपभोक्ताओं से उन्हें काफी उम्मीद
इसी वजह से विज्ञापनों में कोई कोताही नहीं, 20 फीसदी ज्यादा खर्च
प्रिंट मीडिया के हाथ आएगी मोटी रकम