अनिल धीरूभाई अंबानी समूह की प्रमुख कंपनी रिलायंस पावर इंडोनेशिया में कई और कोयला खदानों के अधिग्रहण की योजना बना रही है।
कंपनी ने हाल ही में इंडोनेशिया के दक्षिणी सुमात्रा में तीन कोयला परिसंपत्तियों का अधिग्रहण किया है।इस योजना से जुड़े अधिकारियों ने बताया, ‘रिलायंस पावर ने दक्षिणी सुमात्रा के उसी क्षेत्र में कुछ और अधिग्रहणों के लिए कोयला खदानों की पहचान की है और इस संबंध में बातचीत शुरुआती चरण में है।
कंपनी मोजाम्बीक और दक्षिण अफ्रीका में भी कुछ बड़े कोयला क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर रही है।’कंपनी की रणनीति जोखिम-मुक्त उत्पादन से संबद्ध ‘बेनीफिट शेयरिंग मॉडल’ के साथ कोयला खदानों की खरीद करना है। इंडोनेशिया में कंपनी द्वारा खरीदी गई तीन कोयला खदानें तकरीबन 20,000 करोड़ रुपये मूल्य के कोयला भंडारों से लैस हैं।
दक्षिणी सुमात्रा क्षेत्र भारत के पूर्वी तट से सटा हुआ है जिससे कंपनी को माल की लदाई एवं ढुलाई के समय में दो दिन तक की कमी लाने में मदद मिलेगी। इस भौगोलिक लाभ से शिपमेंट खर्च में 60-70 रुपये प्रति टन (10-15 प्रतिशत) तक की कटौती करने में सहायता मिलेगी।
कंपनी ने हाल ही में जिन तीन कोयला परिसंपत्तियों का अधिग्रहण किया है वे श्रीविजय बिंटांगटिगा एनर्जी, ब्रियायन बिंटांगटिगा एनर्जी और सुगिको पेंद्रागन एनर्जी हैं जो 40,000 हेक्टेयर के क्षेत्र में फैली हुई हैं। ये कोयला खदानें तकरीबन दो अरब टन के कोयला भंडारों से लैस हैं।
यह अधिग्रहण रिलायंस कोल रिसोर्सेज प्राइवेट लिमिटेड के जरिये किया गया। रिलायंस कोल रिसोर्सेज प्राइवेट लिमिटेड रिलायंस पावर के पूर्ण स्वामित्व वाली सहयोगी कंपनी है। कंपनी ने अभी तक इसके लिए कोई अग्रिम भुगतान नहीं किया है और यह अधिग्रहण कोयले के खनन से जुड़ा हुआ है।
रिलायंस पावर ने परिसंपत्तियों को विकसित करने और इनकी क्षमता बढ़ा कर तकरीबन 2.5 करोड़ टन प्रति वर्ष करने के लिए 4,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश करने की योजना बनाई है। कंपनी जरूरी बुनियादी ढांचा को भी विकसित करेगी जिसमें 100 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन और कोयला भारत लाने के लिए एक कैप्टिव जेट्टी भी शामिल है। अधिकारियों ने बताया कि इन खदानों का अधिग्रहण एक से दो वर्ष के दौरान बातचीत के कई दौ के बाद ही संभव हो पाया था।
कंपनी द्वारा अधिग्रहीत खदानों का कोयला भंडार काफी अधिक है। यह कोयला भंडार कंपनी की कृष्णापट्टनम अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट (यूएमपीपी), महाराष्ट्र में 1200 मेगावाट की क्षमता वाली शाहपुर परियोजना और कई अन्य बड़ी विद्युत परियोजनाओं के लिए 20 से 25 वर्षों के लिए पर्याप्त है।
कृष्णापट्टनम यूएमपीपी को प्रति वर्ष तकरीबन 1.5 करोड़ टन कोयला की जरूरत पड़ेगी और रिलायंस पावर को इस परियोजना के 2013 तक शुरू हो जाने की संभावना है। अधिकारियों के मुताबिक शाहपुर परियोजना भी कुछ वर्षों के अंदर शुरू हो जाएगी और 3-4 महीने के अंदर इसके लिए भूमि की खरीद शुरू हो जाएगी।