छठे वेतन आयोग के पिटारे से सरकारी बाबुओं और अफसरों की तनख्वाहें बढ़ाने का पैगाम क्या आया, कंपनियां खुशी से झूम उठीं।
भाई सरकारी तनख्वाहें बढ़ने से कंपनियों पर क्या फर्क पड़ रहा है? सवाल लाजिमी है। इसकी असली वजह है, सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाला बकाया यानी एरियर, जो कंपनियों को भी फलने-फूलने का मौका देगा।
आरपीजी फाउंडेशन के अध्यक्ष डी एच पाई पनांडिकर कहते हैँ, ‘लोगों के हाथों में अचानक मोटी रकम आने लगेगी। इससे खरीदारी बढ़ने की पूरी उम्मीद है। वेतन आयोग की सिफारिशों से आबादी के एक बड़े हिस्से का फायदा होगा, इसलिए कंपनियों को भी इससे मलाई खाने का मौका मिलेगा।’
सबसे ज्यादा उछाल कंज्यूमर डयूरेबल्स का बाजार मार रहा है। क्यों न हो, पिछले कुछ महीनों से इसमें बढ़ोतरी की रफ्तार इतनी मंद है कि कंपनियां परेशान हैं। तिस पर बढ़ती लागत उन्हें और परेशान कर रही है। देश में इस बाजार का आकार लगभग 25,000 करोड़ रुपये है और इसमें सालाना 12 फीसदी का इजाफा हो रहा है।
बाजार में भीड़ बढ़ेगी, तो मुकाबला भी कड़ा होगा। बड़े खिलाड़ी अभी से इसकी तैयारी में जुट गए हैं। कंज्यूमर डयूरेबल्स कंपनी वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज मांग में होने वाले इजाफे का अंदाजा लगाने के लिए सर्वेक्षण कराने की योजना बना रही है। कंपनी के सेल्स एवं मार्केटिंग निदेशक सुनील मेहता कहते हैं, ‘मुझे यकीन है कि वेतन में बढ़ोतरी से हमारे ग्राहकों की संख्या भी बढ़ेगी। इस मौके को सही तरीके से तोलने के लिए हम सर्वेक्षण का सहारा ले रहे हैं।’
साउथ कोरिया की बड़ी कंपनी की भारतीय शाखा, एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स के उपध्यायक्ष (मार्केटिंग), वी रामचंद्रन का कहना है, ‘अब लोगों की खर्च करने योग्य आय सोच-समझ कर खरीदारी करने में लगाई जाती है जो सकारात्मक संकेत है। और इसका मुनाफा टिकाऊ उत्पाद श्रेणी को मिलेगा, जो इस खर्च को आकर्षित करने का दम रखता है। क्योंकि वेतन ढांचा पिरामिड आकार का है, इसलिए टिकाऊ उत्पादों की बिक्री भी उसी तरह होगी।’
गोदरेज और बॉयस का एप्लीकेशन प्रभाग भी लोगों की वस्तुओं के लिए मांग बढ़ने की बात मानता है, लेकिन यह कितनी आंकड़ों में बदल पाएगी, इस बारे में कंपनी अभी कुछ स्पष्ट नहीं कर पा रही है। ‘साल के शुरू में जो विकास दर है, वह आगे चल कर यूं ही नहीं बनी रहेगी।