साब ग्रिपेन कलपुर्जों की आपूर्ति के लिए भारतीय कंपनियों के साथ गठजोड़ करने की जुगत में है।
साब ग्रिपेन उन छह कंपनियों में एक है जो 400 अरब रुपये के बहुउद्देशीय लड़ाकू विमान (एमएमआरसीए) सौदा करने की इच्छुक हैं।साब ग्रिपेन अपने ग्रिपेन लड़ाकू विमान के लिए ऑफसेट की आपूर्ति के वास्ते हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स (एचएएल) और टाटा गु्रप के साथ गठजोड़ करने की योजना बना रही है।
भारतीय वायु सेना (आईएएफ) को आग्रह पत्र सौंपने वाले दिन साब एबी के अध्यक्ष और सीईओ एकी स्वेनसन ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘एयरफे्रम और अन्य कलपुर्जों को ध्यान में रखते हुए हमलोग हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स से समझौता करने की कोशिश कर रहे हैं। इसके अलावा हमलोग टाटा गु्रप के साथ भी बातचीत कर रहे हैं।’
टाटा समूह की एक कंपनी एफए-18 सुपर हॉर्नेट कलपुर्जे के लिए बोइंग आईडीएस के साथ पहले ही समझौते पर हस्ताक्षर कर चुकी है। स्वेनसन ने यह बताया कि वे ऑफसेट के लिए भारत की 100 अन्य कंपनियों के साथ बातचीत कर रहे हैं। एक गु्रप के रूप में साब एबी भारत में आम नागरिकों की सुरक्षा के क्षेत्र में प्रवेश करने पर विचार कर रही है।
साब के अध्यक्ष ने बताया, ‘परमाणु प्रतिष्ठानों की रक्षा के लिए हमें स्वीडन में अनुबंध मिला है। लेकिन मुझे एक बात नहीं समझ आ रही है कि हमारी तकनीक यहां (भारत) क्यों नहीं इस्तेमाल हो सकती।’ इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया, ‘हमारे पास रेडार, कवच नियंत्रण प्रणाली आदि उपकरणों के लिए अवसर मौजूद हैं लेकिन भारत के लिए ग्रिपेन लड़ाकू विमान पर पूरी तरह नजर गड़ाए हुए हैं।’ साब ने पिछले सप्ताह नई पीढ़ी के लड़ाकू विमान, जिसका नाम ग्रिपेन एनजी रखा गया है, का अनावरण किया था।