प्रतिभूति अपील पंचाट (SAT) ने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा इरॉस इंटरनैशनल मीडिया और चार अन्य को प्रतिभूति बाजार से प्रतिबंधित करने के मामले में हस्तक्षेप करने या कंपनी को किसी तरह की त्वरित राहत देने से मंगलवार को इनकार कर दिया।
22 जून के आदेश में बाजार नियामक ने इरॉस इंटरनैशनल, उसके वाइस चेयरमैन और प्रबंध निदेशक सुनील लूला, मुख्य कार्याधिकारी प्रदीप द्विवेदी, इरॉस वर्ल्डवाइड एफजेड और इरोज डिजिटल को 2019-2020 के वित्तीय विवरण में 687 करोड़ रुपये की हेरफेर करने के आरोप में प्रतिबंधित कर दिया था।
लूला को इरॉस समेत किसी सूचीबद्ध कंपनी में हिस्सेदारी रखने से भी प्रतिबंधित कर दिया गया है। वहीं द्विवेदी को इरॉस के अलावा किसी सूचीबद्ध कंपनी में निदेशक की जिम्मेदारी संभालने से रोक दिया गया है।जस्टिस तरुण अग्रवाल ने अपने आदेश में कहा, ‘जांच से अपीलकर्ता कंपनी की विभिन्न इकाइयों को धन की हेराफेरी का पता चला है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।’
सैट ने इरॉस और अन्य इकाइयों को अपने जवाब या आपत्तियां सेबी के समक्ष तीन सप्ताह के अंदर सौंपने का निर्देश दिया है। सेबी को जवाब दाखिल किए जाने के एक सप्ताह के अंदर सुनवाई करने और तीन सप्ताह की सुनवाई के बाद आदेश देने को कहा गया है।
सेबी ने नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) द्वारा आरंभिक रिपोर्ट के आधार पर इस मामले की विस्तृत जांच कराई थी। सैट ने पाया कि मौजूदा समय के दौरान सेबी ने निष्कर्ष निकाला है कि कंपनी ने 87 इकाइयों को अग्रिम कंटेंट के तौर पर 1,320.4 करोड़ रुपये की राशि को बट्टेखाते में डाला था, जिसमें से 1,172.4 करोड़ रुपये की रकम 18 इकाइयों से जुड़ी हुई थी।
कंपनी ने वित्त वर्ष 2019-2020 में समझौते की अवधि समाप्त होने से पहले ही वसूली की कोई कोशिश किए बगैर पूरी बकाया राशि को बट्टेखाते में डाल दिया था। सेबी ने अपनी जांच में पाया कि इनमें से कुछ इकाइयां सिर्फ कागज पर थीं और उनका कोई व्यावसायिक परिचालन नहीं था।
अपने आदेश में बाजार नियामक ने बीएसई को तीन बीएसई-सूचीबद्ध कंपनियों का फॉरेंसिक ऑडिट कराने का निर्देश दिया था। इन कंपनियों में थिंकइंक पिक्चरेज, मीडियावन ग्लोबल एंटरटेनमेंट और स्पाइसी एंटरटेनमेंट मीडिया शामिल थीं। इन कंपनियों को कथित कोष हेराफेरी में लिप्त पाया गया।