कंपनियां

विदेशी कंपनियों की जांच बढ़ी, सख्त हुए नियम

विश्लेषकों का मानना है कि कई इकाइयों, खासकर बहुराष्ट्रीय कंपनियों (एमएनसी) को ज्यादा सख्त जांच का सामना करना पड़ सकता है।

Published by
रुचिका चित्रवंशी   
Last Updated- June 04, 2024 | 10:14 PM IST

लिंक्डइन टेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन मामले में कंपनी पंजीयक (आरओसी) द्वारा महत्वपूर्ण लाभार्थी स्वामित्व (एसबीओ) मानदंडों का उल्लंघन करने के मामले में एक फैसले ने संशोधित नियमों को सुर्खियों में ला दिया है। विश्लेषकों का मानना है कि कई इकाइयों, खासकर बहुराष्ट्रीय कंपनियों (एमएनसी) को ज्यादा सख्त जांच का सामना करना पड़ सकता है।

एक बिग फोर फर्म के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘कंपनियां इस क्षेत्र पर सतर्कता से नजर लगाए हुए हैं। यदि सत्य नडेला (माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ) को महत्वपूर्ण लाभार्थी स्वामी समझा जा सकता है तो इस तर्क से तो कई वैश्विक सीईओ को खुद को महत्वपूर्ण लाभार्थी स्वामी घोषित करना पड़ेगा।’ कपनीज ऐक्ट की धारा 90 उन लोगों की पहचान से जुड़ी है जो किसी कंपनी में लाभार्थी हित रखते हैं। इसके तहत कंपनियों को महत्वपूर्ण लाभार्थी स्वामित्व का खुलासा करना आवश्यक है।

दिल्ली और हरियाणा के आरओसी के आदेश के अनुसार 22 मई को कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय (एमसीए) ने नडेला और आठ अन्य अधिकारियों पर लिंक्डइन टेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन से जुड़े महत्वपूर्ण लाभार्थी स्वामित्व मानकों का उल्लंघन करने पर 27.1 लाख रुपये जुर्माना लगाया था। अपने 63 पेज के ऑर्डर में आरओसी ने कहा कि कंपनी और उसके अधिकारी वह नोटिस भेजने में विफल रहे जो कंपनीज (सिग्नीफिकेंट बेनीफिशल ऑनर्स) रूल्स के रूल 2ए (2) के तहत अनिवार्य था।

लिंक्डइन ने अपनी वेबसाइट खुलासा किया है कि रेयान रोजलैंस्की नडेला को रिपोर्ट करते हैं और माइक्रोसॉफ्ट की वरिष्ठ नेतृत्व टीम का हिस्सा है। नडेला भी धारा 90 के तहत संबंधित कंपनी के महत्वपूर्ण लाभार्थी स्वामी हैं। विश्लेषकों का मानना है कि इन प्रावधानों की व्याख्या संबंधी चुनौतियों के कारण उनके लागू होने के बाद से ही उन्हें अनुपालन संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

कॉरपोरेट प्रोफेशनल्स में पार्टनर अंकित सिंघी ने कहा, ‘महत्वपूर्ण लाभार्थी स्वामित्व के अनुपालन के बारे में आरओसी के ताजा आदेश से बहुराष्ट्रीय और अन्य कंपनियों को इन प्रावधानों से जुड़े खुलासों के बारे में फिर से विचार करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा क्योंकि ऐसा लग रहा है कि कंपनी मामलों का मंत्रालय ‘कंट्रोल’ और ‘सिग्नीफिकेंट इनफ्लूएंस’ जैसे शब्दों को व्यापक दृष्टिकोण से देख रहा है।’

आरओसी के आदेश में स्पष्ट किया गया है कि कानून के तहत किसी महत्वपूर्ण लाभार्थी स्वामी का किसी कंपनी के रोजमर्रा के कामों में अनिवार्य रूप से भाग लेना या उसके मामलों पर सीधा नियंत्रण रखना जरूरी नहीं है। डेलॉयट इंडिया में पार्टनर मेहुल मोदी ने कहा, ‘सभी को समय दिया गया और अब मंत्रालय जांच कर रहा है कि किसने शर्तों का अनुपालन किया है और किसने नहीं। यह एक उचित सवाल है। यह कानून 2013 से लागू है। नियम लंबे समय से हैं और अगर मंत्रालय कंपनियों से अनुपालन करने के लिए कहता है तो यह उचित है।’

कानून में उन लोगों या समूहों की पहचान करने पर जोर दिया गया है जो सीधे तौर पर स्वयं शेयर रखे बगैर कंपनियों को प्रभावित कर सकते हैं। मोदी ने कहा, ‘स्वामित्व के दायरे के अखिर में कौन होता है? आप कोई व्यक्ति तो नहीं रख सकते। यह एक जीवित व्यक्ति होना चाहिए,जिसके दिमाग की उपज वह इकाई हो।’

इस महीने के शुरू में मंत्रालय को पता चला था कि एक बड़ी निजी इक्विटी फर्म के संस्थापक और सीईओ ने स्वयं का महत्वपूर्ण लाभार्थी स्वामी के तौर पर खुलासा नहीं किया था और इस तरह कानून का उल्लंघन किया।

यह मामला लीक्सिर रिसोर्सेज से जुड़ा है, जिसका स्वामित्व लीक्सिर इंटरमीडिएट कॉर्प के पास है जबकि मुख्य होल्डिंग कंपनी कॉमवेस्ट लीक्सिर होल्डिंग्स एलएलसी है। इस मामले में आरओसी ने पाया कि कॉमवेस्ट इन्वेस्टमेंट पार्टनर्स वी एलपी के सामान्य साझेदार और निवेश प्रबंधक कॉरपोरेट निकाय थे।

First Published : June 4, 2024 | 10:14 PM IST