माइक्रोसॉफ्ट, ऑटोडेस्क और एडोबी जैसी पैकेज्ड सॉल्यूशंस मुहैया कराने वाली सॉफ्टवेयर कंपनियों को अब ज्यादा कर का भुगतान करना पड़ सकता है।
हाल ही में सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) सॉफ्टवेयर सेवाओं को भी सेवा कर की श्रेणी में रख दिया है। सेवा कर अधिनियम के तहत लगने वाले इस नए कर पर सॉफ्टवेयर उद्योग ने सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है। यह नया टैक्स 16 मई, 2008 से लागू हो चुका है।
उद्योग सूत्रों के मुताबिक पैकेज्ड सॉफ्टवेयर पर लगभग 12.36 फीसदी की दर से सेवा कर लग सकता है। इस कर के अलावा पैकेज्ड सॉफ्टवेयर पर पहले से ही 4 फीसदी वैट और 12 फीसदी उत्पाद शुल्क लगता है। कस्टमाइज्ड सॉफ्टवेयर पर लगभग 12 फीसदी सेवा कर लग सकता है। इस नोटिफिकेशन से सॉफ्टवेयर कंपनियां असमंजस की स्थिति में हैं कि सॉफ्टवेयर को सामान समझकर बेचा जाए तो उस पर वैट लगेगा और अगर इसे सर्विस समझकर बेचा जाए तो इस पर सर्विस टैक्स लगेगा।
पैकेज्ड सॉफ्टवेयर वो सॉफ्टवेयर होते हैं जो शेल्फ से बेचे जाते हैं। इस श्रेणी में माइक्रोसॉफ्ट, ऑटोडेस्क और एडोब जैसे कई कंप्यूटर सिक्योरिटी सॉफ्टवेयर पैकेजेस होते हैं। टैली भी इसी श्रेणी में आता है। उद्योग सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार को दिया जाने वाला सेवा कर तब दिया जाता है जब सेवा दी जाती है। जबकि वैट उत्पाद की बिक्री के वक्त देय होता है।
नेस्कॉम के अध्यक्ष सोम मित्तल ने कहा, ‘सेवा कर, वैट और उत्पाद शुल्क कुछ ऐसे मुद्दे हैं जो हाल फिलहाल ही हमारे क्षेत्र में आए हैं। इन सब में कुछ असंगति भी हो सकती है। क्योंकि सॉफ्टवेयर को सर्विस और उत्पाद दोनों ही तरह से बेचा जाता है तो कई बार असमंजस की स्थिति हो जाती है। हम जल्द से जल्द इस मुद्दे को सुलझाने का प्रयास कर रहे हैं।’
सॉफ्टवेयर वितरक, वेंडर्स और ग्राहक सभी असमंजस में हैं और सरकार के स्पष्टीकरण की मांग कर रहे हैं। प्रमुख सॉफ्टवेयर कंपनी के प्रवक्ता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया , ‘हाल ही में की गई इस घोषणा में कई बातें साफ नहीं हैं। जिस चीज को आप उत्पाद बता रहे हैं उस पर सेवा कर कैसे लग सकता है? दूसरा यह बात भी कुछ साफ नहीं है कि वैट सेवा कर पर ही लगेगा या फिर किसी और तरह से।’
माइक्रोसॉफ्ट के प्रवक्ता ने बताया, ‘सरकार ने सभी सॉफ्टवेयरों को सेवा कर और उत्पाद शुल्क की श्रेणी में रखा हुआ है। हम बाकी सभी कंपनियों के साथ मिलकर सरकार से इस मामले में स्पष्टीकरण की मांग कर रहे हैं। इस कर का हमारे वितरण चैनल पर कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा। क्योंकि सेवा प्रदाता कंपनी और निर्माता द्वारा दिया गया सेवा कर हम उत्पाद की लागत में ही शामिल कर लेते हैं। इसलिए इस नए कर का प्रभाव ज्यादा नहीं होना चाहिये।’ अब देखना यह है कि कंपनियों को इस नए कर के चक्रव्यूह में कोई रास्ता मिलता है या नहीं।