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मारन के पक्ष में मध्यस्थता आदेश को कायम रखने के खिलाफ SpiceJet ने HC का किया रुख

बता दें कि मारन और स्पाइसजेट के बीच विवाद 2015 से शुरू हुआ जब चेयरमैन अजय ने इसे उनसे वापस खरीद लिया। वह मारन से पहले स्पाइसजेट के मालिक थे।

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बीएस वेब टीम   
Last Updated- August 23, 2023 | 4:09 PM IST

स्पाइसजेट (SpiceJet) और उसके प्रवर्तक अजय सिंह ने दिल्ली उच्च न्यायालय में एकल न्यायाधीश के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें उन्हें मीडिया क्षेत्र के दिग्गज कलानिधि मारन को ब्याज समेत 579 करोड़ रुपये लौटाने के मध्यस्थता आदेश को बरकरार रखा गया है। ये अपीलें न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा और न्यायमूर्ति धर्मेश शर्मा की खंडपीठ के समक्ष पेश की गईं।

स्पाइसजेट और सिंह के वकील के उपस्थित नहीं होने के कारण खंडपीठ ने इन्हें पहले 15 सितंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया। बाद में खंडपीठ ने इन याचिकाओं को गुरुवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।

एकल न्यायाधीश ने 31 जुलाई को मारन और उनकी कंपनी काल एयरवेज के पक्ष में 20 जुलाई, 2018 के मध्यस्थता न्यायाधिकरण के आदेश को बरकरार रखा था। अजय सिंह ने इस मध्यस्थता आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।

2015 से शुरू हुआ मारन और स्पाइसजेट के बीच विवाद

बता दें कि मारन और स्पाइसजेट के बीच विवाद 2015 से शुरू हुआ जब चेयरमैन अजय ने इसे उनसे वापस खरीद लिया। वह मारन से पहले स्पाइसजेट के मालिक थे।

मारन ने 2015 में एयरलाइन में अपनी 58.46% हिस्सेदारी सिंह को सिर्फ 2 रुपये में ट्रांसफर कर दी थी। हालांकि, सौदे के अनुसार मारन को एयरलाइन के प्रमोटर के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उनके द्वारा निवेश किए गए धन के बदले में रीडीम होने वाला वारंट मिलना था।

मारन 18 करोड़ वारंट प्राप्त करने के लिए उत्तरदायी थे, जिसका मतलब स्पाइसजेट में 26 प्रतिशत हिस्सेदारी थी। हालांकि, मारन को न ही अपने हिस्से का पैसा और परिवर्तनीय वारंट तथा न ही प्रेफरेंस शेयर मिले।

मारन ने तब दावा किया था कि उन्हें 1,300 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ है। इसके बाद, मारन ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसने मामले को मध्यस्थता के लिए भेज दिया।

(पीटीआई के इनपुट के साथ)

First Published : August 23, 2023 | 4:09 PM IST