दुनिया की नंबर एक दवा कंपनी फाइजर के लिए यह हफ्ता काफी हलचल भरा रहा। पहले तो रैनबैक्सी में प्रमोटरों की हिस्सेदारी खरीदने की जापानी कंपनी दायची सांक्यो की कोशिश में अड़ंगा डालने की तोहमत उस पर लगाई गई।
उसके बाद कंपनी ने रैनबैक्सी के अधिग्रहण की किसी भी कोशिश से साफ इनकार किया और आखिर में कॉलेस्ट्रॉल घटाने वाली अहम दवा लिपिटॉर पर रैनबैक्सी के साथ उसने अदालत से बाहर समझौता कर लिया। फाइजर के शेयरों पर भी इसका असर पड़ा। रैनबैक्सी के साथ हुए समझौते के बाद तो उसकी भारतीय इकाई फाइजर लिमिटेड (इंडिया) के शेयर बम्बई शेयर बाजार में जमीन पर आ गए।
लिपिटॉर के मामले में रैनबैक्सी के साथ सुलह वैसे भी बहुत बड़ा कदम था क्योंकि दुनिया में सबसे ज्यादा बिकने वाली दवाओं में यह शामिल है। लिपिटॉर यानी एटोरवैस्टैटिन के पेटेंट पर दोनों कंपनियों के बीच काफी समय से विवाद था।
दुनिया भर में सालाना 1270 करोड़ डॉलर से ज्यादा की बिक्री वाली यह दवा चिकित्सकों की भी जुबान पर रहती है। इस पर फाइजर के पेटेंट को चुनौती देने वाली रैनबैक्सी पहली कंपनी थी। लेकिन इस समझौते के बाद अब फाइजर और रैनबैक्सी के बीच इसको लेकर किसी तरह की रार नहीं रह गई है।
फाइजर के रैनबैक्सी को खरीदने की होड़ में शामिल होने की खबरें भी हफ्ते भर सबकी जुबान पर रहीं। हालांकि कंपनी के उपाध्यक्ष रेमंड केरिंस ने इसे अफवाह बताया और इस तरह की किसी भी योजना से साफ इनकार किया। उन्होंने कहा, ‘आम तौर पर हम बाजार में फैली अफवाहों या कयासों पर प्रतिक्रिया करने से परहेज ही करते हैं, लेकिन मैं आपसे यह तो कह ही सकता हूं कि रैनबैक्सी को खरीदने का हमारा कोई इरादा नहीं है।’
दरअसल पूरे बाजार में यह चर्चा आम था कि दायची को पछाड़ने के लिए फाइजर कमर कस चुकी है। दायची ने रैनबैक्सी के प्रमोटरों के जरिये कंपनी में लगभग 38 फीसद हिस्सेदारी खरीदी थी, लेकिन कहा जा रहा था कि फाइजर बाकी बची 62 फीसद हिस्सेदारी खरीदकर दायची के दांव को नाकाम कर देगी। फाइजर के साथ रैनबैक्सी ने भी इस खबर का खंडन कर दिया और इसके साथ ही बाजार में फैली अफवाहों पर विराम लग गया। लेकिन 1849 में शुरू हुई कंपनी फाइजर की भारतीय इकाई फाइजर इंडिया के शेयरों में इस बीच अच्छा खासा उतार चढ़ाव आ गया।
फाइजर का भारत में वैसे अच्छा खासा आधार है। इस कंपनी ने 1959 में भारत में डयूमेक्स का अधिग्रहण किया था और इसी के साथ फाइजर इंडिया लिमिटेड अस्तित्व में आई। इस कंपनी को 1996 में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और 1999 में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध किया गया था। उसके बाद से ही इसके शेयर अच्छा खासा प्रदर्शन करते आए हैं।
फाइजर इंडिया लिमिटेड में फाइजर इनकॉर्पोरेटेड की 40 फीसद हिस्सेदारी है। कंपनी देश में फार्मास्युटिकल विभाग, पशु स्वास्थ्य क्षेत्र और अनुसंधान एवं विकास के क्षेत्र में काम करती है। मार्केटिंग के मामले में भी कंपनी का लोहा माना जाता है। उसके ब्रांड कोरेक्स और बीकासूल तो बेहद मशहूर हैं।