टाटा मोटर्स और टाटा केमिकल्स की अधिग्रहण मुहिम पूरी होने के बाद अब टाटा पावर ने भी ताल ठोक ली है। कंपनी विदेशों में कुछ कोयला खदानों के अधिग्रहण की ताक में है।
कंपनी के वरिष्ठ प्रबंधकों की एक बैठक में इस बात का खुलासा किया गया कि टाटा की नजर छोटी खानों के अधिग्रहण पर है। इसी मुहिम के चलते एक नई कोयला खदान खरीदने की प्रक्रिया जोरों पर है। हालांकि कंपनी प्रबंधन ने इस बारे में विस्तृत जानकारी नहीं दी लेकिन टाटा पावर के प्रबंध निदेशक प्रसाद मेनन ने कहा कि कंपनीर् कई संभावनाएं टटोल रही है।
दरअसल कीमत में इजाफे की वजह से टाटा के मुंद्रा बिजली संयंत्र के लिए कोयले की आपूर्ति पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। इस संयंत्र के लिए कोयले की आपूर्ति इंडोनेशिया स्थित कोयला खानों से की जानी है और यह काम 2012 में पूरा हो जाएगा।
टाटा पावर फिलहाल गुजरात के मुंद्रा में एक अल्ट्रा मेगा बिजली परियोजना पर काम कर रही है। कंपनी की विशेष उद्देश्य वाली कंपनी कोस्टल गुजरात पावर लिमिटेड के जरिए पूरा कर रही है। 4000 मेगावाट क्षमता वाले इस संयंत्र के लिए सालाना करीब 50 लाख टन कोयले की जरूरत होगी जिसमे से 30 लाख टन कोयला तो इंडोनेशियाई खानों से निश्चित कीमत पर मिलेगा। बाकी 20 लाख टन के लिए कं पनी को ज्यादा कीमत चुकानी पड़ सकती है।
टाटा पावर ने अप्रैल 2007 इंडोनेशिया की दो कोयला खानों में 30 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी थी और इसके लिए 4,400 करोड़ रुपये चुकाए थे। कंपनी प्रबंधन का कहना है कि कोई भी अधिग्रहण पूरी तरह से तोलमोल के बाद ही किया जाएगा।