प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
टाटा स्टील लिमिटेड को गुरुवार को ओडिशा के जयपुर में डिप्टी डायरेक्टर ऑफ माइन्स कार्यालय से एक डिमांड लेटर मिला है। यह नोटिस कंपनी के सुकिंदा क्रोमाइट ब्लॉक से खनिजों की कम डिस्पैच के संबंध में है। यह मामला माइन डेवलपमेंट एंड प्रोडक्शन एग्रीमेंट (MDPA) के चौथे साल (23 जुलाई 2023 से 22 जुलाई 2024) से जुड़ा है। कंपनी ने BSE फाइलिंग में इसकी जानकारी दी।
नोटिस में मिनरल्स (अदर दैन एटॉमिक एंड हाइड्रोकार्बन एनर्जी मिनरल्स) कन्सेशन रूल्स, 2016 के नियम 12A के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है। इसके साथ ही परफॉर्मेंस सिक्योरिटी को जब्त करने की बात भी कही गई है।
डिमांड लेटर में कहा गया है कि सुकिंदा क्रोमाइट ब्लॉक से MDPA के तहत तय मात्रा में खनिजों का डिस्पैच नहीं हुआ। इसके आधार पर राज्य सरकार ने कुल 1902.72 करोड़ रुपये का दावा किया है। इसमें खनिजों की कमी की बिक्री मूल्य और परफॉर्मेंस सिक्योरिटी की राशि शामिल है। यह मूल्यांकन इंडियन ब्यूरो ऑफ माइन्स द्वारा नोटिफाइड औसत बिक्री मूल्य के आधार पर किया गया है। टाटा स्टील का कहना है कि राज्य सरकार का यह दावा न तो उचित है और न ही ठोस आधार पर टिका है। कंपनी ने इस नोटिस को चुनौती देने का फैसला किया है और इसके लिए वह संबंधित न्यायिक या अर्ध-न्यायिक प्राधिकरणों में कानूनी कार्रवाई करेगी।
कंपनी ने यह भी स्पष्ट किया कि यह खुलासा सेबी (लिस्टिंग ऑब्लिगेशन्स एंड डिस्क्लोजर रिक्वायरमेंट्स) रेगुलेशन्स, 2015 के नियम 30 और 51 के तहत किया गया है। टाटा स्टील ने अपने निवेशकों और शेयरधारकों को इस घटनाक्रम की जानकारी देने के लिए यह कदम उठाया है। कंपनी का मानना है कि यह मामला कानूनी प्रक्रिया के जरिए सुलझाया जाएगा। फिलहाल, इस नोटिस का कंपनी के परिचालन पर तत्काल प्रभाव स्पष्ट नहीं है, लेकिन यह मामला निवेशकों के बीच चर्चा का विषय बन सकता है।