विश्व की छठी सबसे बड़ी इस्पात निर्माता कंपनी टाटा स्टील झारखंड में बेकार पड़ी 6500 एकड़ भूमि के लिए विकास कार्यक्रम शुरू करेगी।
कंपनी इस राज्य में लोगों को प्रेरित करने और कृषिगत आय बढ़ाने के प्रयास के तहत यह नई परियोजना शुरू करने वाली है। इस विकास कार्यक्रम को बाद में उड़ीसा और छत्तीसगढ़ तक बढ़ाया जा सकता है जहां कंपनी ने 60 लाख टन और 50 लाख टन की क्षमता वाली दो नई परियोजनाओं की योजना बनाई है।
पिछले तीन वर्षों में टाटा स्टील रूरल डेवलपमेंट सोसायटी (टीएसआरडीएस) ने झारखंड में 4,050 एकड़ की बेकार पड़ी भूमि का विकास किया। यह भूमि जमशेदपुर संयंत्र इलाके से तकरीबन 60-70 किलोमीटर दूर है। टाटा स्टील के एक प्रवक्ता ने बताया कि अगले दो वर्षों में बेकार पड़ी 6,438 एकड़ की भूमि को उपजाऊ बनाए जाने का लक्ष्य है। संयंत्र इलाके के आसपास के लोगों को इससे लाभ पहुंचेगा।
अधिकारी ने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि हमारे इस कदम से लोगों पर सकारात्मक असर पडेग़ा। वे यह जान जाएंगे कि हम भी सामुदायिक कार्य कर सकते हैं।’ टाटा स्टील ने 2005 में 1.2 करोड़ टन की क्षमता वाले संयंत्र के लिए झारखंड सरकार के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, लेकिन पुनर्वास नीति को सरकार की मंजूरी नहीं मिल पाने की वजह से इस परियोजना को आगे नहीं बढ़ाया जा सका है।
इस कार्यक्रम के तहत किसानों को काजू, आम, धान आदि की फसलों को उगाने के लिए प्रेरित किया जाता है। टाटा स्टील इन किसानों को तकनीकी जानकारी और सिंचाई सुविधा मुहैया कराती है।