देश की प्रमुख सूचना प्रौद्योगिकी सेवाएं मुहैया कराने वाली कंपनी टाटा कंसलटेंसी सर्विसेज (टीसीएस) ने भारत में ई-प्रशासन को बेहतर बनाने के लिए एक श्वेत पत्र जारी किया।
गौरतलब है कि इस पत्र में टीसीएस ने ई-प्रशासन परियोजना में अपने अनुभवों का खुलासा किया है, जिसमें कंपनी ने तकनीक के इस्तेमाल से होने वाले फायदों को सीमित कर देने वाली बाधाओं का भी जिक्र किया है।
गौरतलब है कि वैश्विक ई-प्रशासन रैंकिंग में भारत काफी पिछड़ा हुआ है। भारत में प्रति व्यक्ति सार्वजनिक क्षेत्र आईटी के लिए लगभग 51.6 रुपये खर्च करता है, जबकि न्यूजीलैंड में यह आंकड़ा लगभग 7,960 रुपये और सिंगापुर में लगभग 6,120 रुपये है।
ई-प्रशासन को बेहतर बनाने के लिए कंपनी के पांच सूत्रों में पहला सूत्र है कि ई-प्रशासन परियोजना के लिए राष्ट्रीय स्तर पर अनिवार्य रूप से वार्षिक बजट की एक निश्चित राशि (लगभग 3 प्रतिशत) आवंटित होनी चाहिए।
टीसीएस के सूत्रों में यह भी शामिल था कि सेवाओं पर संपूर्ण रूप से केन्द्रित और एकीकृत दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है। इसी के साथ ई-प्रशासन कार्यक्रमों पर राष्ट्रीय स्तर पर निगाह रखनी चाहिए और इन्हें पहले व्यक्तिगत कार्यक्रम के रूप में शुरू कर उन्हें संस्थागत कार्यक्रम में तब्दील कर देना चाहिए।
कंपनी का मानना है कि ई-प्रशासन तभी सही तरीके से काम कर पाएगा, जब इसके लिए एक निश्चित अवधि का कार्यक्रम चलाया जाएगा, जिसमें सरकारी अधिकारियों की ई-प्रशासन के किसी भी कार्यक्रम के लिए नियुक्ति की जाएगी और साथ ही सरकारी स्थायी कमिटी राष्ट्रीय ई-प्रशासन कार्यक्रमों पर नजर रखे।
कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और प्रबंध निदेशक एस रामादुरई का कहना है, ‘अगर इन सूत्रों को सही तरीके से लागू कर लिया जाए तो ई-प्रशासन भारत में हाशिये पर बढ़ रहे क्षेत्रों के लिए काफी मददगार साबित होगा और इससे राष्ट्रीय स्तर पर नई कार्यकुशलता हासिल की जा सकेगी। जहां भारतीय आईटी दुनिया के लिए जलन का विषय बन चुकी है वहीं भारत अभी अभी अपनी सूचना प्रौद्योगिकी और उसके विशेषज्ञों का पूरा फायदा नहीं उठा पा रहा।’