सब प्राइम संकट का असर भारतीय रियल एस्टेट कारोबार पर

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 06, 2022 | 12:00 AM IST

पूरी दुनिया के वित्त बाजार में इस समय हड़कंप मचा हुआ है और इसका असर भारतीय रियल एस्टेट की दुनिया पर भी नजर आ रहा है।


दिल्ली की एक रियल एस्टेट कंपनी बीपीटीपी लिमिटेड ने नोएडा में एक महत्वपूर्ण लोकेशन पर 94 एकड़ जमीन खरीदी। जमीन की कीमत 5,006 करोड़ रुपये है जिसके लिए पहली किस्त अप्रैल में जमा करानी थी लेकिन कंपनी ऐसा करने से चूक गई है। अब कंपनी ने किस्त जमा करने के लिए 60 दिन का समय मांगा है।


दरअसल कंपनी इस अधिग्रहण के लिए कुछ विदेशी बैंकों से पैसे जुटाने के भरोसे बैठी थी लेकिन सब प्राइम संकट से जूझ रहे इन बैंकों से उसे समय पर पैसे नहीं मिल पाए। बीपीटीपी लिमिटेड को नोएडा में जमीन अधिग्रहीत करने का अधिकार 12 मार्च को मिला था । समझौते के मुताबिक उसे कुल राशि का 25 फीसदी हिस्सा यानी 1,251.5 करोड़ रुपये की पहली किस्त नोएडा विकास प्राधिकरण को 30 दिन के भीतर चुकानी थी।


किस्त जमा करने की तारीख गुजर चुकी है और कंपनी ने 60 दिन की मोहलत मांगी है। अब बीपीटीपी के पास 60 दिन का समय तो है लेकिन उसे 14 फीसदी ब्याज देना अलग से देना होगा। बीपीटीपी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कंपनी को मोहलत मिल गई है और हम 60 दिनों से पहले ही पैसा चुका देंगे।


नाम न बताने की शर्त पर इस अधिकारी ने बताया कि कंपनी ने पैसा जुटाने के लिए कुछ विदेशी बैंकों से सौदा किया था लेकिन सब प्राइम संकट के  चलते इन बैंको के प्रबंधन मे फेरबदल का सिलसिला शुरू हुआ और बीपीटीपी के लोन का मसला बीच में ही अटक गया।


कंपनी ने नोएडा में डीएलएफ और ओमेक्स जैसी कद्दावर कंपनियों को हरा कर जो टेंडर हासिल किया है उसमें एक एक्सेप्शन क्लॉज था जिसके तहत बीपीटीपी किस्त जमा करने के लिए अतिरिक्त समय की मांग कर सकती है। अधिकारियों का कहना है कि अगर कंपनी इस अवधि के अंदर भी पैसे नहीं दे पाती है तो टेंडर रद्द हो जाएगा और नए सिरे से निविदाएं बुलाई जाएंगी। साथ ही 100 करोड़ रुपये का जो बयाना लिया गया है वह भी जब्त हो जाएगा।


गौरतलब है कि भारती रियल एस्टेट डेवलपर, खासतौर पर मझोले खिलाड़ियों को पिछले एक साल से पैसे की कमी का सामना करना पड़ रहा है। डेवलपर, विदेशी स्रोत से पैसे जुटा नहीं पाते और घरेलू मोर्चे पर उधार लेना काफी मंहगा पड़ता है क्योंकि मौद्रिक नीति काफी सख्त है। बुरी खबर तो यह है कि आगे आने वाले दिनों में इसके और सख्त होने के आसार हैं।


यही नहीं शेयर बाजार में भी रियल एस्टेट कंपनियों के शेयरों की हालत खराब है। पैसे पाने के दूसरे स्रोत जैसे लंदन स्टॉक एक्सचेंज का ऑल्टरनेटिव इंवेस्टमेंट मार्केट और रियल एस्टेट ट्रस्ट बोर्ड में अधिसूचित करना भी इस समय व्यावहारिक नहीं है।

First Published : April 25, 2008 | 11:45 PM IST