अमेरिकी मुलाजिमों पर बरकरार है छंटनी की तलवार

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 3:02 PM IST

अमेरिका में रोजगार के हालात सुधरने का नाम ही नहीं ले रहे हैं और देश में लगातार 7 महीनों से कर्मचारियों को नौकरी से निकालने का सिलसिला जारी है।


अमेरिकी कंपनियों ने जुलाई में एक बार फिर से कर्मचारियों की छंटनी की है और जो कर्मचारी अब भी नौकरी कर रहे हैं, उनके काम के घंटों को भी काफी हद तक कम कर दिया गया है। एक बार फिर साल की दूसरी छमाही में इससे यह संकेत मिले हैं कि आर्थिक विकास की गति धीमी है।

जुलाई महीने में अमेरिकीयों ने औसतन हर हफ्ते 33 घंटे और 36 मिनट काम किया जो जून की तुलना में छह मिनट कम था। श्रम विभाग की ओर से जारी किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि 1964 से इन आंकड़ों का रिकार्ड रखा जा रहा है और तब से यह पहली बार है कि कर्मचारियों ने किसी हफ्ते में इतना कम काम किया हो। बेरोजगारों का आंकड़ा भी बढ़कर 5.7 फीसदी पर पहुंच गया है जो चार साल में सबसे अधिक है।

पेरोल में गिरावट दर्ज की गई है और जुलाई में कुल काम के घंटों में 0.4 फीसदी की गिरावट आई है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि तीसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था की स्थिति और बदतर हो सकती है। विभिन्न कंपनियां कर्मचारियों पर होने वाले खर्च को कम करने की कोशिशों में जुटी हुई हैं। दरअसल कंपनियां ईंधन की बढ़ती कीमतों से परेशान हैं और किसी तरीके से अपने खर्च को कम करना चाहती हैं। न्यू यॉर्क स्थित डॉयचे बैंक सिक्योरिटीज इंक में मुख्य अमेरिकी अर्थशास्त्री जोसफ ला वोगर्ना कहते हैं, ‘कंपनियां पहले ही कर्मचारियों की छंटनी कर चुकी हैं और अब वे काम के घंटों को कम करने में जुटी हैं।’

उन्होंने कहा कि काम के घंटों में कटौती का विकास पर व्यापक असर पड़ेगा। जुलाई में जहां निजी क्षेत्र की कंपनियों ने 76,000 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया, वहीं सरकारी क्षेत्र में 25,000 कर्मचारियों को नौकरी पर रखा गया। इस तरह अगर मिलाकर देखें तो कुल 51,000 लोगों को नौकरी से निकाला गया। इनमें ट्रांसपोर्टेशन, रीटेल, उत्पादन और हेल्प एजेंसियां शामिल हैं। लावोगर्ना का अनुमान है कि अगर सकल घरेलू उत्पाद पर पड़ने वाले असर के नजरिए से देखें तो एक हफ्ते में काम के हर घंटे में की गई कटौती के दसवें हिस्से से उतना ही असर पड़ता है जितना 3,00,000 से 3,50,000 लोगों को नौकरी से निकालने पर होता है।

उन्होंने तीसरी तिमाही में अनुमानित विकास दर को 1.5 फीसदी से घटाकर 0.7 फीसदी कर दिया है। अप्रैल से जून के बीच अमेरिकी अर्थव्यवस्था सालाना 1.9 फीसदी की दर से बढ़ी है जो अर्थशास्त्रियों के अनुमान से भी कम है। नए अनुमानों से यह भी पता चलता है कि 2007 के आखिर में जीडीपी की हालत और खस्ता हुई है। काम के घंटों में आई कमी पार्ट टाइम रोजगार के बढ़ते चलन की वजह से भी हो सकती है।

अर्थव्यवस्था में आई मंदी की वजह से कामगारों को आसानी से फुल टाइम की नौकरी नहीं मिल पा रही है और वे पार्ट टाइम की ओर आकर्षित हो रहे हैं। जिन कर्मचारियों के काम के घंटे को कम किया गया है उनकी संख्या जुलाई में बढ़कर 57 लाख हो गई है। दिसंबर 1993 के बाद यह सबसे अधिक है। रिपोर्ट से पता चलता है कि पिछले एक साल के दौरान इस संख्या में 14 लाख की बढ़ोतरी हुई है।

First Published : August 5, 2008 | 12:01 AM IST