कच्चे माल की बेतहाशा रफ्तार से बढ़ती कीमतें, वाहनों के लिए लोन उपलब्ध कराने वाली वित्त कंपनियों के पास पूंजी की कमी और अर्थव्यवस्था में लगातार बढ़ती महंगाई के कारण ग्राहक वाहन उद्योग से मुंह मोड़ रहे हैं। इस वजह से वाहन उद्योग की रफ्तार लगातार मंद हो रही है।
टायर फिर पंचर
मौजूदा हालात देखकर लगता हैकि नए वित्त वर्ष में वाहन उद्योग के पहिए बिल्कुल ही पंचर हो जाएंगे। कम से कम आने वाले छह महीने तो इस उद्योग के लिए बहुत भारी साबित होने जा रहे हैं।
पिछले साल वाहन उद्योग में लगभग 5 फीसदी की गिरावट हुई थी। माना जा रहा था कि आने वाले वित्त वर्ष में उद्योग इससे उबर जाएगा। लेकिन बाजार में छायी मंदी के कारण इस बार भी सूरत अच्छी नहीं दिख रही है।
मजबूत रुपया वजह
डॉलर के मुकाबले रुपये की स्थिति बेहतर होने के कारण इस उद्योग को भी काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। ऐसे में वाहन कंपनियों के पास वाहनों की कीमत बढ़ाने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है।
पिसेंगे ग्राहक
ऑटो पुर्जे बनाने वाली कंपनियां और वाहन निर्माता कंपनियां भी यह मान चुकी हैं कि अब महंगाई का बोझ सिर्फ कंपनियां ही नहीं उठा सकती है। महिंद्रा ऐंड महिंद्रा, टाटा मोटर्स, मारुति सुजुकी, हुंडई और बड़े व मध्यम पुर्जे बनाने वाली कंपनियां भी ग्राहकों को इस महंगाई से बचाने के लिए काफी नुकसान खुद उठा रही हैं। लेकिन इन सभी कंपनियों का मानना है कि अगर इसी हिसाब से महंगाई बढ़ती रही तो इसका कुछ भार ग्राहकों पर डालना ही पड़ेगा।
वित्त मंत्री द्वारा उत्पादन शुल्क में 4 फीसदी की कटौती करने के बाद भी मार्च 08 में यात्री कार श्रेणी में मात्र 12 फीसदी का इजाफा हुआ था। वहीं दूसरी तरफ दोपहिया वाहनों की बिक्री में 8 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी। ऐसा तब हुआ जबकि मार्च का महीना वाहन खरीद के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है।
कच्चा माल परेशानी
महिंद्रा ऐंड महिंद्रा के अध्यक्ष (ऑटोमेटिव सेक्टर) पवन गोयनका ने कहा ‘पिछले साल कच्चे माल की कीमतों में जबरदस्त वृद्धि हुई है। जहां तक मुझे याद है ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। ऐसा कोई भी रास्ता नहीं है जिससे हम इन बढ़ती कीमतों को अपने ऊपर ही झेल लें। ग्राहकों के ऊपर तो इसका असर पड़ेगा ही। इस वित्त वर्ष के पहले 6 महीनों में इस उद्योग में ज्यादा विकास नहीं होगा।’
वाहन उद्योग के विशेषज्ञों और सूत्रों क ा मानना है कि कीमतों में होरही वृद्धि को कुछ हद तक ऑटोमेटिव कंपनियां झेल सकती हैं। लेकिन इससे पुर्जे बनाने वाली छोटी और मध्यम कंपनियों की पहले से ही कम मुनाफा राशि और कम हो जाएगी।
ऑटो कम्पोनेंट्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (एसीएमए) के कार्यकारी निदेशक विष्णु माथुर ने बताया कि कच्चे माल के मूल्य में 4 से 5 फीसदी की वृद्धि तो झेली जा सकती है, लेकिन सिर्फ तीन महीनों में 25 से 30 फीसदी की वृद्धि हो गई है और इसे झेलना मुश्किल है।
ज्यादातर वाहन निर्माता कंपनियां उपकरण बनाने वाली कंपनियों के साथ कीमतों को लेकर बातचीत कर रही हैं। अगर यह बातचीत सफल नहीं होती है तो वाहन उद्योग में मंदी छा जाएगी। वैसे भी पिछले 7-8 महीनों से वाहन उद्योग को नुकसान ही हो रहा है, जो आगे भी जारी रह सकता है।