मंदी की मार भारतीय कंपनियों पर भी पड़ी। यही वजह है कि 31 मार्च को समाप्त वित्त वर्ष में भारतीय कंपनियों का मुनाफा पहले से घटा है।
जिससे शेयरधारकों को पिछले पांच वर्षों के मुकाबले सबसे कम लाभांश देने की घोषणा की गई है। कम लाभांश देने वाली कंपनियों में इंडियन ऑयल और सरकारी स्वामित्व वाली तेल रिफाइनरी कंपनियां प्रमुख हैं।
विश्लेषकों के मुताबिक, वर्ष 2007-08 में घोषित लाभांश में पिछले चार सालों की तुलना में तकरीबन 22 फीसदी की कमी आई है। यही नहीं, अब तक 1000 कंपनियों ने अपने सालाना नतीजे जारी किए हैं, लेकिन उनमें से 657 कंपनियों की ओर से ही 5 जून तक लाभांश देने की घोषणा की गई है।
यही नहीं, 657 कंपनियों में से 361 कंपनियां ही पिछले साल से ज्यादा लाभांश की घोषणा की है, जबकि 196 कंपनियां पिछले वित्त वर्ष जितना ही लाभांश देने की घोषणा की है। 100 कंपनियों ने तो पिछले वित्त वर्ष से भी कम लाभांश की घोषणा की है।
भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड पिछले वित्त वर्ष में 245 फीसदी लाभांश दिया था, जो 2007-08 में घटकर 152.50 फीसदी रह गया। इसी तरह इंडियन ऑयल ने 55 फीसदी लाभांष की घोषणा की है, जबकि बीते वित्त वर्ष में कंपनी की ओर से 190 फीसदी लाभांश शेयरधारकों को वितरित किए गए थे। हिंदुस्तान पेट्रोलियम 30 फीसदी लाभांश दे रही है, जबकि वित्त वर्ष 2006-07 में 180 फीसदी लाभांश दिए गए थे।
एनटीपीसी, एनएमडीसी ने भी पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले कम लाभांश देने की घोषणा की है। विप्रो, टाटा मोटर्स, रैनबैक्सी, स्टरलाइट इंडस्ट्रीज, अशोक लीलैंड ने पिछले वित्त वर्ष जितना ही लाभांश देने की घोषणा की है। जिन 350 कंपनियों ने ज्यादा लाभांश की घोषणा की है, उनमें से 50 ने 2006-07 में शेयरधारकों को लाभांश ही नहीं दिया था।