दिग्गज ऑटो कंपनी टोयोटा मोटर कॉर्पोरेशन (टीएमसी) ने भारतीय ऑटो बाजार के लिए छोटी कार बनाने की महत्वाकांक्षी परियोजना की शुरूआत कर दी है।
कंपनी ने बेंगलुरु के निकट लगभग 1,400 करोड़ रुपये की लागत से लगने वाले संयंत्र का शिलान्यास कर दिया है। कंपनी की यह छोटी कार साल 2010 के मध्य तक भारतीय सड़कों पर दौड़ने लगेगी। कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि इस कार के निर्माण के लिए टोयोटा के इंजीनियर भारतीय इंजीनियरों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।
टोयोटा मोटर्स के वरिष्ठ प्रबंध निदेशक अकीरा ओकाबे ने कहा, ‘हमने अभी नई कार के लॉन्च की तिथि निर्धारित नहीं की है। लेकिन साल 2010 के मध्य तक यह संयंत्र उत्पादन के लिए तैयार हो जाएगा। हमारे पास कार का बुनियादी ढांचा तैयार है और जल्द ही कार के डिजाइन को भी अंतिम रूप दे दिया जाएगा।’ उन्होंने कहा कि कंपनी के दूसरे संयंत्र के लिए भी लगभग 1,400 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा। कंपनी के इस निवेश में रोबोट और जिग्स (एक प्रकार का उपकरण) लगाने की लागत शामिल नहीं है। उन्होंने बताया कि बाद में इसके अतिरिक्त भी निवेश किया जाएगा।
कंपनी के दूसरे संयंत्र के लिए कंपनी को लगभग 130 एकड़ जमीन की जरूरत होगी जिसमें एक टेस्ट ट्रैक भी शामिल होगा। कंपनी के इस संयंत्र की सालाना उत्पादन क्षमता 1 लाख इकाइयों का निर्माण करने की होगी। इस संयंत्र की स्थापना से लगभग 2,400 लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है। ओकाबे ने बताया कि हालांकि इस छोटी कार का निर्माण भारतीय बाजार को ध्यान में रखकर किया गया है। लेकिन इसके डिजाइन को देखकर इसके एशिया के दूसरे देशों में निर्यात करने की संभावना भी है।
भारत में टोयोटा का पहला संयंत्र साल 1998 में लगाया गया था। इस संयंत्र की सालाना उत्पादन क्षमता 60,000 इकाइयों के निर्माण की थी। इस संयंत्र में कंपनी के मल्टी यूटिलिटी व्हीकल इनोवा और लक्जरी कार टोयोटा कोरोला का निर्माण किया जाता है। जबकि प्रीमियम लक्जरी कार टोयोटा कैमरी और स्पोर्टस यूटिलिटी व्हीकल प्राडो को आयात किया जाता है। ओकाबे ने बताया, ‘टोयोटा का लक्ष्य साल 2010 तक यात्री कार के भारतीय बाजार में अपनी हिस्सेदारी 10 फीसदी करना है। इस नए संयंत्र की मदद से हम 2010-2015 के बीच इस लक्ष्य को हासिल करने में मदद करेगा।’
सोसाइटी फॉर इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्यूफैक्चरर्स के आंकड़ों के मुताबिक पिछले वित्त वर्ष में इस बाजार में टोयोटा की हिस्सेदारी मात्र 3 फीसदी ही थी। उन्होंने बताया कि कंपनी इस परियोजना के लिए अपनी समूह कंपनी दाईहात्सु की मदद नहीं लेगी। हालांकि कंपनी भविष्य की योजनाओं में कंपनी की सहायता ले सकती है।