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अदाणी ग्रुप की अमेरिका में दोबारा होगी एंट्री! ट्रंप प्रशासन ने FCPA कानून को किया रद्द, जिससे कंपनी को हुई आसानी

अदाणी ग्रुप अब फिर से अमेरिका में परमाणु ऊर्जा, यूटिलिटीज और एक ईस्ट कोस्ट पोर्ट में संभावित निवेश की योजनाओं पर काम करना शुरू कर सकता है।

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बीएस वेब टीम   
Last Updated- March 02, 2025 | 4:35 PM IST

अदाणी ग्रुप अमेरिका में अपने निवेश योजनाओं को फिर से शुरू करने की योजना बना रहा है। इसका मुख्य कारण अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन द्वारा हाल ही में नियमों में किए गए बड़े बदलाव को बताया जा रहा है। बिजनेस न्यूज वेबसाइट फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रुप ने अमेरिका में अलग-अलग परियोजनाओं के लिए 10 बिलियन डॉलर के निवेश की बात कही थी, लेकिन उसने अपने इन निवेश योजनाओं को तब रोक दिया था, जब अमेरिकी न्याय विभाग (DOJ) ने ग्रुप के मुखिया गौतम अदाणी और सात अन्य सहयोगियों पर कथित रिश्वतखोरी के मामले में आरोप लगाया था।

हालांकि, अमेरिकी सरकार द्वारा फॉरेन करप्ट प्रैक्टिसेस एक्ट (FCPA) को खत्म करने से, ग्रुप के भीतर नई आशा जगी है। रिपोर्ट के मुताबिक, अदाणी ग्रुप अब फिर से अमेरिक में परमाणु ऊर्जा, यूटिलिटीज और एक ईस्ट कोस्ट पोर्ट में संभावित निवेश की योजनाओं पर काम करना शुरू कर सकता है।

अदाणी ग्रुप की कानूनी अड़चनें

नवंबर 2024 में जब गौतम अदाणी और सात अन्य लोगों पर 265 मिलियन डॉलर की घूस में शामिल होने का आरोप लगा था, तब अदाणी ग्रुप का अमेरिकी निवेश रुक गया था। उनपर आरोप लगाया गया था कि 2020 से 2024 के बीच अदाणी और उनके सह-आरोपियों ने भारतीय सरकारी अधिकारियों को 265 मिलियन डॉलर की रिश्वत देकर सौर ऊर्जा को लेकर ठेका हासिल किया, जिससे 2 बिलियन डॉलर से अधिक का लाभ मिलने की संभावना थी। अमेरिकी अधिकारियों ने अदाणी और उनके सहयोगियों पर अमेरिकी निवेशकों और वित्तीय संस्थानों को गुमराह करने का आरोप लगाया क्योंकि उन्होंने पूंजी जुटाते समय इसके बारे में नहीं बताया।

इसमें जिन लोगों के नाम थे, उनमें सागर अदाणी (गौतम अदाणी के भतीजे) और अदाणी ग्रीन एनर्जी के सीईओ वीनीत एस जैन भी शामिल थे। आरोपों में सिक्योरिटीज फ्रॉड साजिश और वायर फ्रॉड साजिश शामिल थे। अमेरिकी न्याय विभाग (DOJ) के आपराधिक मामले के अलावा, अमेरिकी सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) ने अदाणी और उनके सहयोगियों के खिलाफ एक समान नागरिक मुकदमा भी दायर किया था, जिसमें सिक्योरिटीज कानूनों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया। हाल ही में, SEC ने भारतीय अधिकारियों से अदाणी ग्रुप की कथित सिक्योरिटीज धोखाधड़ी और 265 मिलियन डॉलर की रिश्वत योजना की जांच में मदद करने की मांग की थी।

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इन आरोपों के जवाब में, अदाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (AGEL) ने स्पष्ट किया कि गौतम अदाणी, सागर अदाणी और वीनीत जैन पर अमेरिकी फॉरेन करप्ट प्रैक्टिसेस एक्ट (FCPA) के उल्लंघन का आरोप नहीं लगाया गया है। बल्कि, वे केवल सिक्योरिटीज फ्रॉड साजिश, वायर फ्रॉड साजिश और सिक्योरिटीज फ्रॉड से संबंधित आरोपों का सामना कर रहे हैं। AGEL ने जोर देकर कहा कि यह आरोप FCPA उल्लंघन से जुड़ा नहीं है।

यह कानूनी जांच अदाणी ग्रुप के लिए पहले से ही 2023 में शुरू हुई मुश्किल को और बढ़ा रही थी। 2023 में, शॉर्ट सेलर कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने अदाणी ग्रुप पर स्टॉक हेरफेर और कॉर्पोरेट धोखाधड़ी के आरोप लगाए थे। इन आरोपों के बाद अदाणी ग्रुप के बाजार मूल्य में भारी गिरावट आई और कई निवेशकों ने ग्रुप से दूरी बना ली ।

ट्रंप की नीतियों से अदाणी ग्रुप को राहत की उम्मीद

राष्ट्रपति ट्रंप के प्रशासन के तहत अमेरिकी नीति में एक बड़े बदलाव ने अदाणी ग्रुप की अमेरिकी बाजार में दोबारा पैर रखने काे लिए एक बार फिर अवसर दिया है। फरवरी 2025 की शुरुआत में, ट्रंप ने FCPA को रोकने का आदेश दिया, जिससे इंडस्ट्री एक्सपर्ट को लगा कि इससे अदाणी ग्रुप के अधिकारियों के खिलाफ कानूनी मामला कमजोर हो सकता है।

ग्रुप के करीबी सूत्र ने फाइनेंशियल टाइम्स को बताया कि नीति में इस बदलाव के कारण यह उम्मीद बढ़ गई है कि आरोप अदालत में टिक नहीं पाएंगे। जबकि कानूनी कार्यवाही अभी भी जारी है, यह बदलाव अदाणी ग्रुप के लिए एक अच्छा रास्ता तैयार कर रहा है, जिससे वह अमेरिकी बाजार में अपनी विस्तार योजनाओं पर फिर से विचार कर सके। रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी अब परमाणु ऊर्जा, यूटिलिटीज और ईस्ट कोस्ट के पोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे प्रमुख क्षेत्रों में परियोजनाओं की समीक्षा कर रही है।

हाल ही में, छह रिपब्लिकन सांसदों ने अमेरिकी अटॉर्नी जनरल पैम बॉन्डी को पत्र लिखकर न्याय विभाग द्वारा अदाणी और उनके भतीजे के खिलाफ की जा रही कार्रवाई पर सवाल उठाया। सांसदों का तर्क था कि इस तरह की कार्रवाइयाँ अमेरिका-भारत संबंधों को नुकसान पहुंचा सकती हैं और अमेरिकी अर्थव्यवस्था में विदेशी निवेश को हतोत्साहित कर सकती हैं।

हालांकि, न्याय विभाग (DOJ) और सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) द्वारा की जा रही जांच में अभी तक कोई महत्वपूर्ण प्रगति नहीं हुई है।

हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद वित्तीय और बाजार संबंधी झटके

अमेरिकी अभियोग से पहले, अदाणी ग्रुप को पहले ही 2023 की हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट के कारण गंभीर वित्तीय संकट का सामना करना पड़ा था, जिसमें स्टॉक हेरफेर के आरोप लगाए गए थे। इस रिपोर्ट के कारण निवेशकों का विश्वास तेजी से गिर गया, जिससे ग्रुप के बाजार पूंजीकरण में अरबों डॉलर का नुकसान हुआ।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, इन आरोपों के परिणामस्वरूप वैश्विक कंपनियों के साथ साझेदारी भी प्रभावित हुई। उदाहरण के लिए, फ्रांस की ऊर्जा कंपनी टोटल एनर्जीज (TotalEnergies), जो अदाणी के नवीकरणीय ऊर्जा उपक्रमों में एक प्रमुख निवेशक थी, को अपनी साझेदारी को लेकर प्रतिष्ठा संबंधी जोखिमों का सामना करना पड़ा।

First Published : March 2, 2025 | 4:35 PM IST