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स्विगी के शेयर में मंगलवार को इस खबर के बाद 7 फीसदी की उछाल दर्ज हुई कि यूबीएस ने इस शेयर पर अपना कवरेज शुरू करते हुए खरीद की रेटिंग दी है और इसके लिए ब्रोकरेज ने प्रतिस्पर्धी जोमैटो के मुकाबले मूल्यांकन में अहम छूट का हवाला दिया है। ब्रोकरेज ने 12 महीने के लिए कीमत लक्ष्य 515 रुपये तय किया है। स्विगी का शेयर 462 रुपये पर बंद हुआ, जिससे कंपनी का मूल्यांकन 1.03 लाख करोड़ रुपये बैठता है। यूबीएस के विश्लेषकों ने एक नोट में कहा, हमारा कीमत लक्ष्य छूट वाली नकदी प्रवाह आदि पर आधारित है, साथ ही यह मानते हुए कि ये मोटे तौर पर जोमैटो के समान है।
जोमैटो का मूल्यांकन 2.48 लाख करोड़ रुपये
यूबीएस ने कहा, टियर-2 शहरों में धीमा विस्तार और जोमैटो के सबस्क्रिप्शन कार्यक्रम की कामयाबी के चलते कैलेंडर वर्ष 2023 में जोमैटो के हाथों बाजार हिस्सेदारी गंवाने के बाद स्विगी ने सुधार के लिए कदम उठाए हैं। यूबीएस इविडेंस लैब डेटा से पता चलता है कि साल 2024 में कंपनी के वॉल्यूम में वृद्धि उद्योग के मुताबिक है। ज्यादा अहम यह है कि यह मार्जिन गंवाए बिना हासिल हुआ है, जो वित्त वर्ष 25 की पहली तिमाही से ही लगातार सुधर रहा है। हमारा अनुमान है कि स्विगी का ऑनलाइन फूड डिलिवरी जीएमवी वृद्धि वित्त वर्ष 24-27 ई में मोटे तौर पर जोमैटो की तरह होगा और समायोजित एबिटा मार्जिन वित्त वर्ष 27 ई तक 2.8 फीसदती पर पहुंचेगा।
ऐंजल वन को मिला म्युचुअल फंड लाइसेंस
ऐंजल वन ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी (एएमसी) को अपना म्युचुअल फंड कारोबार शुरू करने के लिए बाजार नियामक सेबी से मंजूरी मिल गई है। कंपनी ने मंगलवार को यह घोषणा की। फंड हाउस केवल पैसिव योजनाएं पेश करेगा। कंपनी ने कहा, ऐंजल वन एएमसी इन योजनाओं तक निर्बाध पहुंच सुनिश्चित करने के लिए अपने मूल और अन्य भागीदारों के मौजूदा डिजिटल बुनियादी ढांचे और व्यापक वितरण नेटवर्क का लाभ उठाने की योजना बना रही है। इसके प्रवेश से म्युचुअल फंड कंपनियों की संख्या 46 हो गई है। ऐंजल वन का शेयर मंगलवार को लगभग 5 फीसदी की बढ़त के साथ बंद हुआ। बीएस
एमएफ के रीपो सौदों के मूल्यांकन में एकरूपता
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने म्युचुअल फंडों के लिए पुनर्खरीद (रीपो) लेनदेन का मूल्य मार्क-टु-मार्केट वैल्यू के आधार पर करना अनिवार्य किया है। इसमें कहा गया है कि इसका मकसद ऐसी संपत्तियों के मूल्यांकन में एकरूपता लाना और विभिन्न मूल्यांकन पद्धतियों के कारण उत्पन्न होने वाली अनपेक्षित नियामक मध्यस्थता का समाधान करना है। एक परिपत्र में कहा गया है कि यह 1 जनवरी से लागू होगा।