ओ के, टाटा पर आगे क्या

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 05, 2022 | 5:13 PM IST

भारतीय ग्राहकों को जहां एक ओर टाटा मोटर्स से बहुत-सी उम्मीदें हैं, वहीं दूसरी ओर अंतरराष्ट्रीय मीडिया टाटा-जगुआर, लैंड रोवर समझौते पर दो हिस्सों में बंट गई है।
 
पश्चिम देशों की मीडिया का कहना है कि में कुछ इस सोच में डूबे हुए हैं कि आखिर इस सौदे से टाटा समूह के हाथ क्या लगेगा और कुछ का मानना है कि अब भारतीय समूह जल्द ही ऑडी, और बीएमडब्ल्यू का मुकाबला कर पाएगा। कुछ तो यह भी सोच रहे हैं कि अमेरिकी बाजारों से जुड़े दो बड़े ब्रांडों के अधिग्रहण का समय सही नहीं है।


ब्रिटेन के दी टाइम्स के ऑनलाइन संस्करण में एक आलेख में छपा है, ‘…अगर टाटा दोनों ब्रांडाके के उत्पादन को बढ़ाकर 10 लाख कर ले , जो अभी लगभग 3 लाख है, तो वह ऑडी, बीएमडब्ल्यू और मर्सीडीज जैसी लग्जरी कारों का बाजार में मुकाबला कर सकती है।’ टाटा मोटर्स के इस समझौते पर अमेरिकी मीडिया कुछ अलग ही तेवर लिए हुए दिखाई दे रही है।


अमेरिका की पत्रिका टाइम ने कहा है कि आर्थिक मंदी के चलते अमेरिका के बाजार सूने पड़े हैं, इसलिए यह इस सौदे के लिए सही समय नहीं था। पत्रिका के ऑनलाइन संस्करण में छपा है, ‘अमेरिका में मंदी की मार खा चुके सभी लग्जरी कार ब्रांडों की स्थिति यह है कि वे डगमगा रहे हैं। और कमजोर पड़ता डॉलर भी उनकी मदद नहीं कर पा र हा है। ऐसे में टाटा को चाहिए कि वह जगुआर और लैंड रोवर के लिए एशिया और रूस में बाजार को खोजे।’


टाटा-जगुआर, लैंड रोवर सौदे को दी न्यूयॉक टाइम्स में सबसे ज्यादा इंतजार किए जाने वाला सौदा कहा गया है, मगर यह अमेरिकी कार कंपनियों के लिए दुखदायी भी है। दी न्यूयॉर्क टाइम्स में यह भी कहा गया है कि पेंशन योजना के तहत फोर्ड टाटा का 240 करोड़ रुपये देगी।


रिपोर्ट के मुताबिक डॉलर की कमजोरी स्थिति और भारत में बढ़ती घरेलू वृध्दि के चलते कंपनियां अंतरराष्ट्रीय अधिग्रहण की ओर आकर्षित हो रही हैं, खासतौर पर अमेरिका में। रिपोर्ट में कई विश्लेषकों के हवाले से यह भी कहा गया है कि जगुआर का नाम बदला भी जा सकता है, जबकि लैंड रोवर टाटा के लिए अधिक आकर्षकण का केन्द्र हो सकता है।

First Published : March 28, 2008 | 12:54 AM IST