नामचीन दवा कंपनी नोवार्तिस ने दवाओं की कीमत निर्धारित करने वाली नैशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) पर सवालिया निशान लगाया है।
एनपीपीए ने स्विट्जरलैंड की कंपनी नोवार्तिस की दर्द निवारक दवा वोवरेन की कीमत ‘जनहित’ में कम कर दी थी। इससे नाराज कंपनी ने इस फैसले के खिलाफ रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय में शिकायत दर्ज कराई है।वोवरेन नोवार्तिस की सबसे महत्वपूर्ण दवा है। इसकी बिक्री करीब 100 करोड़ रुपये का आंकड़ा छूती है जो कंपनी के कुल कारोबार का एक चौथाई है।
कंपनी ने मंत्रालय को लिखे शिकायत पत्र में एनपीपीए के निर्णय को निराधार बताया है और कहा है कि यह फैसला दवाइयों की कीमतें निर्धारित करने संबंधी दिशा निर्देशों व नियम-कायदों से परे जाकर लिया गया है।
आमतौर पर एनपीपीए किसी भी दवा की कीमत तय नहीं करती है। यह किसी भी दवा की कीमत में तेज वृध्दि पर नजर रखती है। उधर एनपीपीए ने पाया कि नोवार्तिस ने वोवरैन के दामों में एक साल (2006-07) के भीतर ही 20 फीसदी का इजाफा कर दिया है। दवा की कीमते निर्धारित करने वाले नियमों के तहत एक साल के अंदर किसी दवा के दाम में 20 प्रतिशत की वृध्दि नहीं की जा सकती और इसी आधार पर एनपीपीए ने दवा के दाम कम करने का निर्देश दे दिया।
नोवार्तिस ने इस फैसले पर सवाल उठाते हुए दलील दी है कि दवा की कीमत में इजाफा 14.35 की सीमा के अंदर ही था और इसलिए इसे घटाने का निर्णय सही नहीं है। कंपनी ने यह भी कहा है कि कीमत बढ़ाने के पीछे की वजह यह थी कि अधिकतम खुदरा मूल्य में कर शामिल थे।