कंपनी की कामकाजी क्षमता का अंदाजा देने वाला एक प्रमुख पैमाना पिछले लगभग 25 वर्षों में सबसे मजबूत स्थिति में दिखाई दे रहा है। आम तौर पर कार्यशील पूंजी अवधि (वर्किंग कैपिटल साइकिल) के जरिये किसी कंपनी की कामकाजी या परिचालन क्षमता का अंदाजा लगाया जाता है।
यह वह अवधि होती है जिसमें कोई कंपनी अपनी मौजूदा परिसंपत्तियों को बिक्री में तब्दील कर ग्राहकों से रकम जुटाती है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (सीएमआईई) के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 1999-2000 के दौरान किसी कंपनी को यह प्रकिया पूरी करने में लगभग 90 दिनों का समय लग जाता था।
मगर नवीनतम आंकड़े बताते हैं कि इसमें लगने वाला समय कम होकर 2023-24 में महज 47.8 दिन रह गया। वर्ष 2023-24 के आंकड़े तुलनात्मक रूप से छोटे नमूने पर आधारित हैं क्योंकि इससे पहले तकरीबन 3,000 कंपनियां इसमें शामिल की जाती थीं। हालांकि, इस छोटे नमूने में शामिल1,011 कंपनियों के प्रदर्शन कार्यशील पूंजी चक्र के रुझानों के बेहतर संकेत माने जा सकते हैं। वर्ष 2022-23 में शुद्ध कार्यशील पूंजी चक्र कम होकर 54.1 दिन रह गया, जो 2005-06 के बाद से सबसे निचला स्तर है। मौजूदा रुझान तो यही बता रहे हैं कि पिछले 25 वर्षों में यह सबसे कम अवधि है।
डीआरचोकसी फिनसर्व के प्रबंध निदेशक देवेन चोकसी कहते हैं, ‘तकनीक का जितना अधिक इस्तेमाल होता है कार्यशील पूंजी का भी उतना ही बेहतर इस्तेमाल हो पाता है। पहले चेक से भुगतान करने में कई दिन लग जाते है थे मगर अब लेन-देन ऑनलाइन माध्यम से महज कुछ सेकंड में हो जाते हैं। इनका कार्यशील पूंजी चक्र पर काफी सकारात्मक असर हुआ है।‘ चोकसी ने कहा कि अर्थव्यवस्था में औपचारिक क्षेत्रों की संख्या बढ़ने और छोटे कारोबारों के मामले में कम से कम समय में भुगतान पर सरकार की तरफ से जोर देने से संभवतः भुगतान की अवधि कम हो गई है। उन्होंने कहा कि अब यह सामान्य बात हो गई है। चोकसी ने कहा कि आने वाले समय में कार्यशील पूंजी चक्र और सुधरता जाएगा।
नवीनतक आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि 2018-19 से कार्यशील पूंजी चक्र के प्रत्येक घटक में कमी दर्ज हुई है। कच्चे माल के मामले में लगने वाला समय कम होकर 1.5 दिन रह गया है वहीं, तैयार माल से संबंधित अवधि भी 0.5 दिन और कम हो गई है। सबसे अधिक सुधार तो ‘डेटर डेज’ में हुआ है। ग्राहकों से रकम संग्रह करने में जितने दिन लगते हैं उन्हें डेटर डेज कहा जाता है। 2018-19 की तुलना में यह कम होकर 13.8 दिन रह गया है। दिलचस्प है कि कंपनियां दूसरे लोगों को तेजी से भुगतान कर रही हैं। क्रेडिटर डेज में एक सप्ताह से भी अधिक कमी आई है।
यह कंपनियों के मुनाफे में बढ़ोतरी का नतीजा है। जून 2024 में जारी मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेस की इंडिया स्ट्रैटजी रिपोर्ट के अनुसार निफ्टी 500 सूचकांक में शामिल कंपनियों के मुनाफे में 2023-24 के दौरान लगभग 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई जबकि इससे पिछले साल इसमें वृद्धि कम होकर इकाई अंक में रह गई थी।
जियोजित सर्विसेस के कार्यकारी निदेशक सतीश मेनन ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही कमाई के लिहाज से थोड़ी कमजोर लग रहा है। उन्होंने कहा कि जहां तक इस साल के रुझान की बात है तो इसे समझने में थोड़ा समय लग सकता है। उन्होंने कहा, ‘हमें किसी ठोस नतीजे पर पहुंचने के लिए दूसरी तिमाही के नतीजे आने तक इंतजार करना होगा।’