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भारत को देनी पड़ सकती है कर्ज की गारंटी

Last Updated- October 21, 2008 | 10:13 PM IST

चारो तरफ क्रेडिट संकट की चिंताओं के बीच अब भारत को अपने बैंकों के कर्ज के बारे में गारंटी देनी पड़ सकती है।


यह बात सबसे बड़े बांड फंड पैसेफिक इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट कंपनी (पिम्को)ने कही है। इस बाबत पिम्को में जापान इकाई के एशिया-प्रशांत क्रेडिट रिसर्च प्रमुख कोयो ओजेकी ने कहा कि भारत कम से कम यह तो कर ही सकता है कि अपने बैंकों के कर्ज की गारंटी वह खुद दे, जैसा कि वैश्विक बाजार में फिलहाल  चलन भी है।

उन्होंने कहा कि भारतीय बैंकों के पास बड़ी संख्या में विदेशी करेंसी की फंडिंग आती है और निवेशक फंड की आवश्यकता की पूर्ति में दिलचस्पी नहीं दिखा रहें हैं।

ब्लूमबर्ग के द्वारा दिखाए जा रहे आंकड़ों के अनुसार परिसंपत्ति केआधार पर भारत के  दूसरे सबसे बड़े बैंक आईसीआईसीआई केपास 3000 करोड ड़ॉलर के नोट हैं जिसकी अवधि बुधवार को पूरी हो रही है और इसके अलावा 1.1 अरब के डॉलर और यूरो डेट हैं जिसकी की अवधि 2009 में पूरी हो रही है।

इसी तरह सरकार नियंत्रित भारतीय स्टेट बैंक केपास 40 करोड ड़ॉलर के नोट है जिसके की चुकाने की अवधि अगले साल के अंत तक है। हाल में ही आस्ट्रेलिया और दक्षिण कोरिया ने अपनेबैंकों को किए जा रहे भुगतान को सुरक्षित करने का ऑफर दिया ताकि बैंकों क्रेडिट संकट का सामना आसानी से कर सके।

इस वर्ष 10 अक्टूबर को लंदन के इंटरबैंक लेंडिंग माकेट में डॉलर उधार लेने का खर्च अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गया और इसके बाद पैदा हुई चिंता की स्थिति को दूर करने केलिए दुनिया के केन्द्रीय बैंकों ने वित्तीय प्रणाली में सहायता राशि देने की घोषणा की थी। गौरतलब है कि  अमेरिका के निवेश बैंक लीमन ब्रदर्स के दिवालिया हो जाने के बाद दुनिया के बैंक भयग्रस्त हैं।

First Published - October 21, 2008 | 10:13 PM IST

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