इन्फोसिस के सह संस्थापक और आधार के रचइता नंदन नीलेकणी ने कहा कि कोविड-19 के टीकाकरण को गति देने से भारत को महामारी के संकट से तेजी से बाहर निकलने, अर्थव्यवस्था को बहाल करने और नौकरियों के सृजन में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि इसके लिए सरकार व निजी क्षेत्र के बीच मजबूत तालमेल की जरूरत है और किसी एक व्यक्ति या एक संस्थान के लिए इसे पूरा कर पाना बहुत बड़ा लक्ष्य होगा।
पब्लिक अफेयर्स फोरम आफ इंडिया (पीएएफआई) की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में नीलेकणी ने कहा, ‘अगर आप बड़े पैमाने पर टीकाकरण करते हैं तो हर दिन 50 लाख से एक करोड़ लोगों का टीकाकरण करना होगा।’ नीलेकणी ने कहा कि इस समय टीके की आपूर्ति को लेकर ही चुनौती है और अगले 6 से 9 महीनों में भारत ‘टीका की वैश्विक राजधानी’ होगा। तमाम टीकों को मंजूरी मिलने की उम्मीद है और हर दिन करोड़ों टीकों का उत्पादन होगा।
नीलेकणी ने कहा, ‘इसके बाच चुनौती आपूर्ति से हटकर यह हो जाएगी कि कैसे तेजी से टीकाकरण करें।’ उन्होंने कहा कि करोड़ों लोगों के टीकाकरण के लिए सही रणनीति बनानी होगी। इसमें अस्पतालों, चिकित्सकों व नर्सों की ताकत का लाभ उठाना शामिल है। इसमें डिजिटल तकनीक की भी अहम भूमिका होगी, जिसमें डिजिटल टीकाकरण प्रमाणपत्र जारी करना शामिल होगा, जिसमें टीका लगवा चुके हर व्यक्ति का क्यूआर (क्विक रिस्पांस) कोड होगा। यह प्रमाणपत्र फोन, डिजिलॉकर में रखा जा सकता है और इसका प्रिंट लिया जा सकता है। इसे लोग बसों में यात्रा करते समय या रेस्टोरेंट में जाने पर दिखा सकते हैं कि उन्हें टीका लग चुका है।
सरकार कोविन (कोविड-19 वैक्सीन इंटेलिजेंस नेटवर्क) की भी संभावना तलाश रही है। इसका मकसद अंतिम छोर तक कोविड टीके की डिलिवरी है।
अर्थव्यवस्था को बहाल करने और छोटे कारोबारियों की बेहतरी में मदद करने के लिए नीलेकणी ने अतिरिक्त उधारी प्लेटफॉर्म बनाने की वकालत की और कहा कि यह अहम भूमिका निभा सकता है। उदाहरण के लिए एकाउंट एग्रीगेटर प्रोग्राम एक तरीका है, जिससे लोग भारतीय रिजर्व बैंक के दिशानिर्देश के मुताबिक अपने आंकड़ों का इस्तेमाल वित्तीय क्षेत्र में कर सकते हैं। इसका मकसद है कि लोग अपने आंकड़ों तक पहुंच सकें। नीलेकणी ने कहा, ‘इससे कंपनियां अपने कारोबारी लेनदेन के आंकड़े इस्तेमाल कर सकेंगी और कर्ज ले सकेंगी।’ उन्होंने कहा कि यह बहुत अहम है कि मिलकर काम किया जाए, जिससे सुनिश्चित हो सके कि नीति लागू हुई है और छोटे कारोबारों के लिए कर्ज के नए चक्र का सृजन हुआ है। यह बदलाव अर्थव्यवस्था की बहाली में अहम भूमिका निभाएगा।
उन्होंने कहा कि नीति बनाने के लिए सहयोगी और भागीदार की जरूरत है। साथ ही नीति बनाने में घटनाएं अहम भूमिका निभाती हैं। इस तरह से हमेशा हर समय तैयार रहने की जरूरत है। उदाहरण के लिए आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 भारतीय समुद्र क्षेत्र में 2004 में आई सुनामी के बना, जिससे दक्षिण व दक्षिण पूर्व एशिया के कई देश दिसंबर 2004 में प्रभावित हुए थे।