भारत से वाणिज्यिक वस्तुओं का निर्यात पिछले 7 महीनों से लगातार बढ़ रहा है। इससे कोविड-19 के संक्रमण से आए व्यवधान के बाद कारोबार में क्रमिक सुधार के संकेत मिलते है। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रमुख विदेशी बाजारों से तेज मांग के अलावा विदेश भेजे जाने वाले माल में लगातार हो रही बढ़ोतरी की वजह जिंसों के दाम में तेजी और घरेलू मुद्रा कमजोर होना भी है। केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘प्राथमिक रूप से जहां निर्यात मांग (बाहरी) से संचालित है, वहीं ज्यादा निर्यात की कुछ और वजहें हैं। इनमें जिंसों के दाम में बढ़ोतरी शामिल है। रुपये में मामूली कमजोरी आई है, इससे भी निर्यात को कुछ बल मिला है। सरकार की ओर से क्रेडिट गारंटी स्कीम जैसे कदम उठाए जाने से छोटे और मझोले उद्यमों को मदद मिल रही है।’
सबनवीस ने कहा, ‘इन वजहों के अलावा पिछले साल लॉकडाउन होने की वजह से आधार कम रहा है, जो अहम है। लेकिन कुल मिलाकर आंकड़़े भी बेहतर है।’ इस माह की शुुरुआत में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से जारी प्राथमिक आंकड़ों के मुताबिक वाणिज्यिक वस्तुओं का निर्यात अप्रैल-जून के दौरान अब तक के सर्वाधिक तिमाही निर्यात 95 अरब डॉलर पर पहुंच गया है, जो 2019-20 की समान अवधि की तुलना में 18 प्रतिशत ज्यादा है। अगर मौजूदा तेजी जारी रहती है तो सरकार चालू वित्त वर्ष के अंत तक अब तक के सर्वाधिक सालाना निर्यात 400 अरब डॉलर के लक्ष्य को भी हासिल कर लेगी।
अगर कोविड के पहले की स्थिति से तुलना करें तो निर्यात में वृद्धि कुछ विशेष क्षेत्रों, जैसे लौह अयस्क, इंजीनियरिंग के सामान, कॉटन यार्न, इलेक्ट्रॉनिक सामान, कृषि उत्पादों जैसे चावल व अन्य वस्तुओं के निर्यात से संचालित है। उद्योग एवं वाणिज्य मंत्रालय के मुताबिक कोविड के व्यवधानों के बावजूद श्रम आधारित क्षेत्रों से निर्यात में भी तेज वृद्धि हुई है।
उदाहरण के लिए पिछले साल मर्ई महीने से चावल का निर्यात बढ़ रहा है और जून को समाप्त तिमाही में इसका निर्यात पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 37 प्रतिशत बढ़कर 2.4 अरब डॉलर हो गया। इसी तरह से श्रम आधारित क्षेत्रों जैसे कॉटन यार्न और हैंडलूम उत्पादों के निर्यात में अप्रैल-जून तिमाही के दौरान 2019-20 की तुलना में तीन गुना बढ़कर 3.4 अरब डॉलर हो गया।
पिछले कुछ वर्षों में भारत के निर्यात बास्केट में व्यापक रूप से कोई बदलाव नहीं हुआ है, जिसमें इंजीनियरिंग उत्पादों, पेट्रोलियम उत्पादों, कार्बनिक व अकार्बनिक रसायन, रत्न एवं आभूषण के साथ टेक्सटाइल प्रमुख हैं।
फेडरेशन आफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फियो) के मुताबिक तमाम श्रम आधारित क्षेत्रों ने भारत के निर्यात में अहम योगदान दिया है, वे लगातार वैश्विक बाजार में अपनी हिस्सेदारी गंवा रहे हैं। इन श्रम आधारित क्षेत्रों में निर्यात में वृद्धि वैश्विक आयातों में वृद्धि की तुलना में कम रही है।
वहीं फियो की ओर से कराए गए अध्ययन के मुताबिक इलेक्ट्रॉनिक्स सामान, कृषि उत्पादों जैसे चाय, कॉफी, मसालों, सर्जिकल उपकरण ने पिछले 5 साल में बेहतर प्रदर्शन किया है और इनका निर्यात आगे और बढऩेे की अपार संभावना है।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर विश्वजीत धर ने कहा, ‘चावल, मसालों सहित कृषि उत्पादों का निर्यात बढ़ रहा है। लौह अयस्क जैसे जिंसों का निर्यात बेहतर विचार नहीं है। भारत को विनिर्मित उत्पादों के निर्यात पर जोर देने की जरूरत है, जिससे नौकरियों के सृजन में मदद मिले।’