Banking Stocks: बीते एक साल में म्यूचुअल फंडों ने सरकारी बैंकों सहित भारतीय बैंकों में पिछली तिमाही की तुलना में अपनी हिस्सेदारी में कटौती की है। ये आंकड़ा बीएसई के शेयरहोल्डिंग पैटर्न डेटा में सामने आया है। बीते आंकड़ों पर नजर डालें तो चार तिमाहियों के बाद ये पहली बार हुआ है जब म्यूचुअल फंड ने बैंकों में हिस्सेदारी कम की है।
एक्सपर्ट्स की मानें को कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि वित्त वर्ष 2024 में बैंकिंग सेक्टर के नेट प्रॉफिट मार्जिन में गिरावट देखने को मिलेगी। इसके अलावा वित्त वर्ष 2023 की तुलना में वित्त वर्ष 2024 में इस सेक्टर में सिस्टेमेटिक क्रेडिट ग्रोथ में कमी की भी आंशका जताई गई है। इसके चलते पूरे बैंकिंग सिस्टम के कुल प्री-प्रॉविजनिंग अर्निंग ग्रोथ में मंदी देखी जा सकती है।
पिछली तिमाही से जिन पीएसयू बैंकों में म्यूचुअल फंड्स की होल्डिंग में गिरावट देखी गई उनमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, पंजाब एंड सिंध बैंक, यूको बैंक और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया शामिल हैं।
खासतौर से देश के बड़े बैंकों में से एक भारतीय स्टेट बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा दोनों को लगातार चौथी तिमाही में म्यूचुअल फंड होल्डिंग्स में लगातार गिरावट का सामना करना पड़ रहा है। इनमें म्यूचुअल फंड्स की होल्डिंग में क्रमशः 100 आधार अंक (बीपीएस) और 200 बीपीएस की कटौती हुई है। इस बीच, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, बैंक ऑफ इंडिया और केनरा बैंक में म्यूचुअल फंड हिस्सेदारी बढ़ती दिखी है।
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प्राइवेट बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में भी काफी हद तक इसी तरह का ट्रेंड देखने को मिला। इस तिमाही के दौरान आरबीएल बैंक, एक्सिस बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, सिटी यूनियन बैंक, करूर वैश्य बैंक, फेडरल बैंक, डीसीबी बैंक, बंधन बैंक, एचडीएफसी बैंक, इंडसइंड बैंक और आईसीआईसीआई बैंक में म्यूचुअल फंड्स की होल्डिंग्स में कमी देखने को मिली है।
गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों (एनबीएफसी) पर नजर डालें तो एलएंडटी फाइनेंस होल्डिंग्स, मणप्पुरम फाइनेंस, चोलामंडलम इन्वेस्टमेंट एंड फाइनेंस और बजाज फाइनेंस में भी म्यूचुअल फंडों की हिस्सेदारी में कमी आई है।
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म्यूचुअल फंड के अलावा, विदेशी संस्थागत निवेशकों ने भी जून तिमाही में सरकारी बैंकों में अपनी हिस्सेदारी में कटौती की है। हालांकि एसबीआई, बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और पंजाब नेशनल बैंक इस अपवाद रहे हैं। मार्च 2023 तिमाही की तुलना में जून तिमाही के दौरान एफआईआई ने निजी बैंकों और एनबीएफसी में हिस्सेदारी बढ़ाई है।