मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन ने आज कहा कि सरकार ‘लचीले एवं निपुण’ नीति निर्माण के माध्यम से मौजूदा वृहद आर्थिक चुनौतियों से निपटने को तैयार है। वित्त मंत्रालय और भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि निकट अवधि के हिसाब से तमाम चुनौतियां हैं, लेकिन मध्यावधि के हिसाब से भारत की बुनियादी धारणा मजबूत है।
नागेश्वरन ने कहा, ‘हम निकट की अवधि की चिंता और चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। हमें यह समझने की जरूरत है कि भारत का मध्यावधि बुनियादी सिद्धांत मजबूत बना हुआ है। हम वर्तमान में जिन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, उसके लिए हम दुनिया में कहीं से भी बेहतर स्थिति में हैं।’
सीईए ने कहा कि वैश्विक वृहद धारणा, मौद्रिक नीति और राजनीतिक बदलाव से भारत की अर्थव्यवस्था को उल्लेखनीय स्तर की चुनौतियां मिल रही हैं। उन्होंने कहा, ‘इस साल हमारे सामने उच्च वृद्धि दर को टिकाऊ बनाए रखने, महंगाई दर में कमी लाने, राजकोषीय घाटे को संतुलन में रखने की चुनौतियां हैं। साथ ही यह भी सुनिश्चित करना है कि भारतीय रुपये का बाहरी मूल्य स्थिर बना रहे।’ नागेश्वरन ने कहा कि स्वाभाविक रूप स इसके लिए पहले से तैयार कोई खाका या इसके लिए कई विकल्प नहीं है, जिससे हमें इन चुनौतियों से निपटने में मदद मिल सके। ऐसे में लचीले नीति निर्माण की जरूरत है।
बुधवार को 6 सदस्यों की मौद्रिक नीति समिति ने एकमत से मानक नीतिगत दरों में 50 आधार अंक की बढ़ोतरी का फैसला किया, जिसके बाद रीपो रेट 4.90 प्रतिशत हो गया है। जीडीपी वृद्धि का अनुमान वित्त वर्ष 23 के लिए 7.2 प्रतिशत बरकरार रखा गया है, वहीं महंगाई दर का अनुमान इस साल के लिए बढ़ाकर 6.7 प्रतिशत कर दिया गया है।
नागेश्वरन ने कहा, ‘मैं आपसे महंगाई दर में वृद्धि की मौजूदा चिंताओं से परे देखने के लिए भी आग्रह करता हूं। इनमें से कुछ संरचनात्मक सुधार- जैसे वस्तु एवं सेवा कर, दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) आदि शामिल हैं। बाहरी वजहों जैसे महामारी और मौजूदा भू राजनीतिक टकराव से से अस्थाई रूप से इनकी उपेक्षा हो सकती है। बहरहाल जब बादल छंटेंगे तो भारत की वृद्धि में इनकी वजह से तेजी आनी शुरू हो जाएगी।’