बेहतर कर प्राप्तियों ने थामा राजकोषीय घाटा

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 3:08 AM IST

अप्रैल-मई में भारत का राजकोषीय घाटा बजट अनुमान (बीई) के 8.2 प्रतिशत के बराबर रहा, जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह 59 प्रतिशत था। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के रिकॉर्ड संग्रह के कारण बेहतर राजस्व प्राप्तियों और भारतीय रिजर्व बैंक से लाभांश मिलने के कारण सरकार को राजकोषीय घाटे को सीमित करने में मदद मिली है। कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने के लिए देशव्यापी लॉकडाउन के कारण पिछले साल हुए 4.7 लाख करोड़ रुपये घाटे की तुलना में इस साल राजकोषीय घाटा 30 प्रतिशत कम रहा।
बहरहाल अर्थशास्त्रियों का कहना है कि आने वाले महीनों में घाटा बढ़ सकता है क्योंकि मुफ्त खाद्यान्न और उर्वरक सब्सिडी पर आवंटन बढ़ा है, साथ ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्थिक राहत पैकेज के तहत सोमवार को कुछ अन्य आवंटन की भी घोषणा की है। सरकार के सांख्यिकी कार्यालय के मुताबिक चालू वित्त वर्ष के पहले दो महीने में राजकोषीय घाटा 1.23 लाख करोड़ रुपये रहा, जो बजट अनुमान का 8.2 प्रतिशत है। शुद्ध कर राजस्व 15.1 प्रतिशत यानी 2.33 लाख करोड़ रुपये रहा। वहीं शुद्ध गैर कर राजस्व 1.16 लाख करोड़ रुपये रहा, जो बजट अनुमान का 48 प्रतिशत है।
खासकर अप्रैल में वस्तु एवं सेवा कर संग्रह बेहतर रहने की वजह से कर संग्रह बेहतर रहा, जो मई में भी 1 लाख करोड़ रुपये से ऊपर था। गैर कर राजस्व में तेजी मुख्य रूप से रिजर्व बैंक के अतिरिक्त 99,122 करोड़ रुपये केंद्र सरकार को देने की वजह से आई।
केंद्र सरकार ने गैर कर राजस्व से 2.43 लाख करोड़ रुपये प्राप्ति का लक्ष्य रखा है, जिसमें रिजर्व बैैंक, बैंकों व अन्य वित्तीय संस्थानों से मिलने वाला लाभांश शामिल है। रिजर्व बैंक का उल्लेख किए बगैर लेखा महानियंत्रक (सीजीए) ने बुधवार को गैर कर राजस्व के हिस्से के रूप में ‘लाभांश और मुनाफा’ के मद में 99,628 करोड़ रुपये दिखाया।
इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘मई, 2021 में कर राजस्व 1.4 लाख करोड़ रुपये रहा, जो कोविड के पहले के 0.9-1.0 लाख करोड़ रुपये की तुलना में बहुत ज्यादा है, जो 2017-19 में मई महीने में मिला था।’ केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘केंद्र सरकार का व्यय नियंत्रण में था और पिछले साल अप्रैल मई में सब्सिडी भुगतान के विपरीत इसे बजट में शामिल रखा गया था। इस तरह से खाद्यान्न पर खर्च कम रहा।’ साथ ही पिछले साल की तुलना में मनरेगा में आवंटन कम रहा। उर्वरक सब्सिडी भी कम थी, जो जून में बढ़ सकती है, क्योंकि वित्त मंत्री ने इस  15,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त खाद सब्सिडी की घोषणा की है। सबनवीस ने कहा कि वित्त मंत्री राहत कार्यक्रम के तहत आवंटनों, मुफ्त भोजन और उर्वरक सब्सिडी से आने वाले दिनों में चिंता बढ़ सकती है।

First Published : July 1, 2021 | 12:30 AM IST