भारतीय कारोबारियों के लिए यूरोप के देशों से बिजनेस करना फायदे का सौदा होता है, क्योंकि यूरो- रुपये का अंतर भारतीयों के मुनाफा कमाने पर सौ गुने के करीब हो जाता है। लेकिन भारतीय कारोबारियों के लिए यूरोपीय देशों के नियम-कानून के मुताबिक अपना बिजनेस करना इतना आसान नहीं होता। भारत- यूरोप के बीच कारोबार की प्रक्रिया को सरल करने के लिए वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने यूरोपीय आयोग के प्रतिनिधिमंडल के साथ मुलाकात की और भारत-यूरोप मुक्त व्यापार समझौते (Free Trade Agreement ( FTA)) को लेकर लंबी बात की।
वाणिज्य मंत्रालय के प्रतिनिधि ने बताया कि केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने यूरोपीय आयोग के प्रतिनिधिमंडल, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, बुल्गारिया, चेक गणराज्य, एस्टोनिया, इटली, आयरलैंड, लातविया, लिथुआनिया, माल्टा, पोलैंड, पुर्तगाल, रोमानिया, स्लोवाक गणराज्य, स्पेन और स्वीडन के राजदूतों के साथ मीटिंग की है। इस पर गोयल ने कहा कि दोनों पक्ष एक संतुलित, महत्वाकांक्षी, व्यापक और पारस्परिक रूप से लाभकारी मुक्त व्यापार समझौते (Free Trade Agreement ( FTA))का लक्ष्य बना रहे हैं। नौ दौर (Nine rounds)की गहन चर्चा के बाद, एफटीए वार्ता को एक दूसरे की संवेदनशीलता को समझते हुए व्यावसायिक रूप से सार्थक समझौते पर पहुंचने के लिए राजनीतिक निर्देशों की आवश्यकता है।
पीयूष गोयल ने कहा कि किसी भी चर्चा में कॉमन बट डिफरेंट शिएटिड रैसपॉन्सिबिलिटी (Common But Differentiated Responsibility)के सिद्धांत की सराहना की जानी चाहिए और ऐसे उपायों के कार्यान्वयन में विकास के विभिन्न साधनों को ध्यान में रखना चाहिए। अगले कुछ वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था के दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में वार्षिक 7 से 8 प्रतिशत की दर से वृद्धि होने की आशा है। त्वरित रूप से होने वाली कई गुणा वृद्धि भारत के सकल घरेलू उत्पाद को 2047 तक 35 ट्रिलियन डॉलर की उपलब्धि तक पहुंचाने में सहायता करेगी।
भारत की व्यापक और संभावनाओं से भरपूर आर्थिक क्षमता को स्वीकार करते हुए, यूरोपीय पक्ष ने कहा कि दोनों पक्षों को दोनों अर्थव्यवस्थाओं को एकीकृत करने और उनकी आपूर्ति श्रृंखलाओं (supply chain) प्रक्रिया को सरल बनाने से India- EU, दोनों को ही खासा लाभ होगा। अमरीका के अलावा भारत एकमात्र ऐसा देश है जिसके साथ यूरोपीय संघ की ऐसी व्यवस्था है।
वर्ष 2023-24 में यूरोपीय संघ के साथ भारत के द्विपक्षीय व्यापार के 137.41 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुंचने के बाद, European Union भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन चुका है। इसके अलावा, वर्ष 2023 में भारत और यूरोपीय संघ के बीच सेवाओं में द्विपक्षीय व्यापार 51.45 बिलियन अमरीकी डॉलर होने का अनुमान है। यूरोपीय संघ के साथ व्यापार समझौते (Trade Agreements) से भारत को value chains को सुरक्षित करते हुए वस्तुओं और सेवाओं के अपने निर्यात को और अधिक विस्तारित करने और विविधता लाने में सहायता मिलेगी। भारत global trade में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए प्रमुख विश्व अर्थव्यवस्थाओं के साथ balance agreements करने के लिए प्रयासरत है।