उधारी जीएसटी परिषद के दायरे में नहीं

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 14, 2022 | 11:03 PM IST

राज्यों को मुआवजे देने के तरीके पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद में मत विभाजन की मांग के बीच केंद्र सरकार के सूत्रों ने कहा है कि परिषद के अधिकार क्षेत्र में आने वाले मुद्दों पर ही मतदान हो सकता है। सूत्रों ने कहा कि मुआवजे के लिए उधार लेने का विषय परिषद के अधिकार क्षेत्र मेंनहीं है।
 सूत्रों ने कहा कि जीएसटी परिषद ने राज्यों को नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजा उपकर वसूलने की अवधि जून 2022 के बाद भी जारी रखने का निर्णय लिया है। एक सूत्र ने कहा, ‘यह परिषद के हाथ में था और सरकार ने ऐसा कर दिया है। अब गेंद राज्यों के पाले में है न कि जीएसटी परिषद के पास।’
सूत्रों ने कहा कि जहां तक उधारी की बात है तो यह प्रत्येक राज्य और केंद्र का निजी निर्णय है, जो संविधान की धारा 293 के अंतर्गत आता है। एक दूसरे सूत्र ने कहा, ‘जब कोई विषय जीएसटी परिषद के अधिकार क्षेत्र में नहीं होता है तो उस पर मतदान या मत विभाजन की अनुमति कैसे दी जा सकती है? परिषद में केवल उन्हीं मसलों पर मतदान हो सकता है जो उसके अधिकार क्षेत्र में है।’
सूत्रों ने इस मामले में महाधिवक्ता के के वेणुगोपाल की राय का हवाला दिया। वेणुगोपाल ने कहा था कि राज्य भविष्य में प्राप्त होने वाले मुआवजे के आधार पर उधारी ले सकते हैं, इसलिए उधार लेने के लिए उन्हें जीएसटी परिषद की सिफारिशों की जरूरत नहीं है।
एक सूत्र ने कहा, ‘राज्यों को वास्तव में उधार लेने के लिए जीएसटी परिषद से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होती है। लिहाजा, मत विभाजन हो या न हो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता और राज्य अपनी मर्जी से उधारी ले सकते हैं। अगर केरल उधार नहीं लेना चाहता है तो क्या असम हो उधार लेने से रोका जा सकता है?’
व्यय विभाग ने राज्यों को उधारी का विकल्प दिया था। विभाग ने राज्यों के साथ बातचीत करने के बाद एक विकल्प में संशोधन किया था। सूत्र ने कहा, ‘व्यय विभाग राज्यों को यह विकल्प दे रहा है और इसमें जीएसटी परिषद की कोई भूमिका नहीं है।’
केंद्र ने राज्यों को दो विकल्प दिए थे। पहले विकल्प के तहत उन्हें भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मदद से 97,000 करोड़ रुपये उधार लेने और दूसरे विकल्प के तहत बाजार से 2.35 लाख करोड़ रुपये उधार लेने के लिए कहा था। हालांकि बाद में राज्यों के साथ बातचीत के बाद जीएसटी राजस्व वृद्धि दर 7 प्रतिशत (पहले 10 प्रतिशत) मानकर आबीआई की मदद से उधारी रकम बढ़ाकर 1.10 लाख करोड़ रुपये कर दी गई।
वित्त मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार 21 राज्यों ने आरबीआई की मदद से उधारी का विकल्प चुना है, लेकिन करीब 10 राज्य दोनों विकल्पों के खिलाफ हैं और केंद्र को उधारी लेने के लिए कह रहे हैं।

First Published : October 6, 2020 | 10:58 PM IST