केंद्र ने राज्यों को सूचित किया है कि अगर राज्य सरकार की कोई कंपनी, विशेष उद्देश्य वाली इकाई या एजेंसी बाजार से उधारी लेती है और उस कर्ज की सुविधा राज्य सरकार प्रदान करती है, तो वह उधारी राज्य के वित्तीय दायित्व एवं बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) की सीमा में आएगी। सोमवार को लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह जानकारी दी है। उन्होंने जवाब में कहा कि यह संज्ञान में आया है कि कुछ राज्यों के पीएसयू, एसपीवी व इस तरह के अन्य इंस्ट्रूमेंट द्वारा उधारी ली जा रही है, जिनके मूलधन या ब्याज का भुगतान राज्य के बजट के बाहर से किया जाना है।
उन्होंने कहा, ‘इस तरह की उधारी द्वारा राज्यों की शुद्ध उधारी सीमा को दरकिनार करने के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए फैसला किया गया। इसके बारे में राज्यों को मार्च 2022 में सूचना दी गई कि इस तरह की उधारी को राज्य द्वारा ली गई उधारी मानी गई है, जो भारत के संविधान के अनुच्छेद 293 (3) के तहत सहमति के साथ ली जाती है।